Chief Justice of India: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ इस साल 10 नवंबर को रिटायर होने जा रहे हैं. इससे पहले उन्होंने देश के अगले चीफ जस्टिस के लिए जस्टिस संजीव खन्ना का नाम केंद्र सरकार को भेजा है. क्योंकि पिछले शुक्रवार को सरकार ने मौजूदा सीजेआई को पत्र लिखकर प्रक्रिया ज्ञापन के मुताबिक अपनी सिफारिशें भेजने को कहा था.


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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की नियुक्ति आमतौर पर वरिष्ठता के सिद्धांत के हिसाब से होती है. चीफ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का चीफ होता है, जो सुप्रीम कोर्ट और देश के मुख्तलिफ हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति की सिफारिश करता है. सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 2 साल तक पद पर रहने के बाद रिटायर होने वाले हैं. अपना कार्यकाल खत्म होने से पहले उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश की है.


इससे पहले, न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए तीन अधिवक्ताओं के नामों की सिफारिश केंद्र को की है. तीन सदस्यीय कॉलेजियम में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी.आर. गवई भी शामिल थे. कॉलेजियम ने मंगलवार को बैठक की और केरल हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए चार सीनियर न्यायिक अधिकारियों के नामों की सिफारिश करने का फैसला किया.


कौन हैं जस्टिस संजीव खन्ना
जस्टिस संजीव खन्ना 11 नवंबर 2024 को 6 महीने के कार्यकाल के लिए चीफ जस्टिस का पद संभालेंगे. वे 13 मई 2025 तक अपने पद पर बने रहेंगे. इसके बाद वे रिटायर हो जाएंगे. जनवरी 2019 में उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया था. वे वर्तमान में कंपनी कानून, मध्यस्थता, सेवा कानून, समुद्री कानून, नागरिक कानून और वाणिज्यिक कानून समेत दूसरे के लिए रोस्टर पर हैं.


कई अहम केस में सुनाया है फैसला
अपने साढ़े चार साल के कार्यकाल में जस्टिस संजीव खन्ना 358 पीठों का हिस्सा रहे हैं और 90 से ज्यादा फैसले सुनाए हैं. 2023 में उन्होंने शिल्पा शैलेश में संविधान पीठ का फैसला सुनाया. यूओआई बनाम यूसीसी में वे उस पीठ का हिस्सा थे जिसने भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों के लिए अतिरिक्त मुआवजे की मांग करने वाली याचिका पर फैसला सुनाया. पिछले साल वे एससी और एसटी के लिए पदोन्नति में आरक्षण की सुनवाई करने वाली 3-न्यायाधीशों की पीठ का हिस्सा थे. 2019 में उन्होंने प्रसिद्ध 'आरटीआई जजमेंट' में बहुमत का फैसला सुनाया. 2022 में, उन्होंने कहा कि मध्यस्थ एकतरफा अपनी फीस तय नहीं कर सकते.