Karnataka News: बिहार में जातीय जनगणना आने के बाद देश के कई राज्यों में इसकी मांग उठने लगी है. वहीं, अब कर्नाटका में बनी कांग्रेस की नई सरकार ने जातीय जन गणना को लेकर अहम फैसला लिया है. कर्नाटक के सीएम सिद्धरमैया ने रविवार, 29 अक्टूबर को कहा कि उनकी सरकार इस साल अंत में यानी नवंबर या दिसंबर में जाति गणना की प्रतिवेदन स्वीकार कर लेगी. 


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सीएम सिद्धरमैया ने कहा कि रिपोर्ट मंत्रिमंडल के सामने पेश की जाएगी और इस पर बातचीत होगी. बातचीत के बाद ही हम अगला कदम उठाएंगे. सिद्धरमैया ने कहा, "कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जयप्रकाश हेगड़े ने कहा है कि वह नवंबर या दिसंबर में रिपोर्ट सौंपेंगे, जिसे हम स्वीकार करेंगे." उन्होंने इल्जाम लगाया कि पिछले कार्यकाल के दौरान सीएम ने कमीशन के तत्कालीन चीफ एच. कंथाराज ने सर्वे किया था, जिसे तीन पूर्व सीएम एच.डी. कुमारस्वामी ( HD Kumaraswami ), बी.एस. येदियुरप्पा ( B. S. Yediyurappa ) और बसवराज बोम्मई (Basavaraj Bommai ) ने एक्सेप्ट करने से डिनाइ कर दिया था.


सीएम सिद्धरमैया ने दावा करते हुए कहा कि उनकी गवर्नेमेंट ने देश में पहली बार जाति गणना करवाई थी. मुख्यमंत्री ने कहा, "कांग्रेस सरकार ने अलग-अलग जातियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति जानने के लिए जाति गणना करवाई थी, लेकिन सरकारों को रिपोर्ट नहीं सौंपी गई. उन्होंने कहा कि कोई भी जन्मजात प्रतिभाशाली नहीं होता है. मौका मिलने पर ही वे अपनी प्रतिभा दिखाते हैं. प्रतिभा सिर्फ एक समुदाय या मजहबम तक ही सीमित नहीं है. अवसर और शिक्षा मिलने के बाद ही उनके बुनियादी गुण सामने आते हैं."


बिहार सरकार ने हाल ही में 2 अक्टूबर को  जाति गत सर्वे के आंकड़े जारी किए थे.  रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में अति पिछड़ा वर्ग 27.12 फीसद, अत्यन्त पिछड़ा वर्ग 36.01 फीसद, अनुसूचित जाति 19.65 फीसद, अनुसूचित जनजाति 1.68 फीसद और अनारक्षित यानी सवर्ण 15.52 फीसद हैं. जबकि कुल आबादी में हिंदुओं की संख्यां 81.9 फीसदी, मुसलमान 17.7  फीसदी, ईसाई 0.00576, सिक्ख 0.0113, बौद्ध 0.0851 और जैन  0.0096 हैं.