श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 खत्म हुए दो साल पूरे हो रहे हैं. घाटी की आबो हवा इन दो सालों में काफी बदस चुकी है. यहां सियासी सरगर्मी की वापसी की ओर मरहलेवार तरीके से कदम कदम बढ़ाए जा रहे हैं. वहीं आतंकवाद पर काफी हद तक लगाम कसने में कामयाबी मिली है.


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रियासती ऑफिसरों का कहना है कि राज्य में अब हालात काफी हद तक बदल चुके हैं. राज्य के सियासी दलों से जुड़े नेताओं की भाषा बदली है. वहीं, अलगाववादी नेताओं का असर अब जमीन पर नही नजर आ रहा हैं. हुकूमत के आंकड़े भी इसकी गवाही दे रहे हैं कि साल 2019 के मुकाबले 2020 में रियासत में आतंकी घटनाओं में 59 फीसद की कमी आई, जबकि जून, 2021 तक इसी मुद्दत में पिछले साल के मुकाबले आतंकी घटनाओं में 32 फीसद की कमी दर्ज की गई है.'


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जम्मू-कश्मीर में दुकानें, तिजारती इदारे, अवामी परिवहन, सरकारी दफ्तर, तालीम और सेहत से जुड़े इदारे मामूल के मुताबिक काम कर रहे हैं. करीब दो साल पहले आर्टिकल 370 खत्म होने पर सरकार ने जम्मू-कश्मीर की हिफाज़त का हवाला देते हुए मोबाइल सेवाओं व इंटरनेट जैसे संचार के मुख्तलिफ चैनलों पर पाबंदिया लगाई गई थीं. ये पाबंदियां आरज़ी थीं. वक्त-वक्त पर हालात की समीक्षा की गई और धीरे-धीरे पाबंदियां हटा दी गईं.


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पांच फरवरी से पूरे केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवाएं बहाल की जा चुकी हैं. हालांकि सरहद पार से आतंकवाद अभी भी घाटी में चुनौती है, लेकिन रियासत में युवाओं को मरकज़ी धारे से जोड़ने के लिए कई सतह पर कोशिश किए जा रहे हैं. अरसे तक नज़रअंदाज़ किए जा रहे तबकों को साथ लेकर विकास से जोड़ने की मुहिम भी राज्य प्रशासन द्वारा चलाई जा रही है.


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