Katchatheevu Island: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1970 के दशक में रणनीतिक रूप से जरूरी कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंपने के फैसले को लेकर रविवार को कांग्रेस पर निशाना साधा है और पार्टी पर देश की अखंडता और हितों को 'कमजोर' करने का आरोप लगाया है. पीएम मोदी की प्रतिक्रिया सूचना के अधिकार (आरटीआई) रिपोर्ट के बाद आई है जिसमें खुलासा हुआ है कि कैसे तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 1974 में कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया था.


बीजेपी ने साधा निशाना


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आरटीआई रिपोर्ट को "आंखें खोलने वाली और चौंकाने वाली" बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इस कदम से लोग "नाराज" हैं और "कांग्रेस पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता". पीएम मोदी ने ट्वीट किया,"आंखें खोलने वाली और चौंका देने वाली! नए तथ्यों से पता चलता है कि कैसे कांग्रेस ने बेरहमी से कच्चाथीवू को दे दिया. इससे हर भारतीय नाराज है और लोगों के मन में फिर से पुष्टि हुई है - हम कभी भी कांग्रेस पर भरोसा नहीं कर सकते! भारत की एकता, अखंडता और हितों को कमजोर करना कांग्रेस का काम करने का तरीका रहा है 75 वर्षों से और गिनती जारी है."


क्या है कच्चातिवु द्वीप?


कच्चाथीवू द्वीप वह स्थान है जहां तमिलनाडु के रामेश्वरम जैसे जिलों के मछुआरे जाते हैं क्योंकि भारतीय जल में मछलियां कम हो गई हैं. मछुआरे द्वीप तक पहुंचने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (आईएमबीएल) पार करते हैं लेकिन श्रीलंकाई नौसेना के जरिए हिरासत में ले लिए जाते हैं. जून 1974 में, कच्चातिवू को सौंपने के फैसले के बारे में तत्कालीन विदेश सचिव केवल सिंह ने तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री एम करुणानिधि को सूचित किया था.


सिंह ने रामनाद (रामनाथपुरम) के राजा के जमींदारी अधिकारों और कच्चाथीवु पर कब्जा करने के अपने दावे को साबित करने के लिए सबूत दिखाने में श्रीलंका की विफलता का उल्लेख भी किया था. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश सचिव ने यह भी कहा कि कच्चातिवु पर श्रीलंका की "बहुत दृढ़ स्थिति" थी और उन्होंने "रिकॉर्ड" का हवाला दिया, जिसमें प्रमुख द्वीप को जाफनापट्टनम राज्य का हिस्सा दिखाया गया था.


बीजेपी ने क्या कहा?


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस को फटकार लगाई और कहा कि पार्टी को "स्वेच्छा से" कच्चातिवु छोड़ने के बाद "कोई पछतावा नहीं" है. उन्होंने लिखा,"कांग्रेस के लिए धीमी ताली! उन्होंने स्वेच्छा से कच्चाथीवू को छोड़ दिया और उन्हें इसका कोई पछतावा भी नहीं था. कभी कांग्रेस के एक सांसद देश को विभाजित करने के बारे में बोलते हैं और कभी-कभी वे भारतीय संस्कृति और परंपराओं को बदनाम करते हैं. इससे पता चलता है कि वे भारत ती एकता और अखंडता के खिलाफ हैं." वे केवल हमारे देश को विभाजित करना या तोड़ना चाहते हैं."


बीजेपी लीडर सुधांशू त्रिवेदी ने कहा,""कच्चतीवू के मुद्दे पर, मैं पूरे देश को याद दिलाना चाहूंगा कि यह 1974 तक भारत का था, और यह तमिलनाडु में भारतीय तट से सिर्फ 25 किमी दूर है. पहले, भारतीय मछुआरे वहां जाते थे लेकिन के शासनकाल के दौरान तत्कालीन सरकार इंदिरा गांधी ने इसे श्रीलंका को सौंप दिया,''


उन्होंने कहा, "उस समझौते में यह भी कहा गया था कि कोई भी भारतीय मछुआरा वहां नहीं जा सकता. इसके कारण कई मछुआरों को पकड़कर जेल में डाल दिया गया और अत्याचार का सामना करना पड़ा. न तो डीएमे और न ही कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाया."