Kisan Andolan News: किसान  की मौत के मौत के बाद प्रदर्शन को और बढ़ा दिया है. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) आज 'ब्लैक फ्राइडे' मनाकर आंदोलन में शामिल होने के लिए तैयार हैं. भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) नेता राकेश टिकैत ने कहा कि एसकेएम राष्ट्रीय राजधानी की ओर राजमार्गों पर एक ट्रैक्टर मार्च भी आयोजित करेगा. बता दें, अभी तक राकेश टिकैत और उनका ग्रुप इन नई मांगों से दूर रहा है. एक किसान की मौत ने कई किसान संगठनों को एकजुट कर दिया है.


अब देश व्यापी रैली के साथ महापंचायत


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

एसकेएम के जरिए तीव्र विरोध प्रदर्शन के आह्वान में शुक्रवार को "जन आक्रोश" रैली निकालेगा. इसके अलावा 26 फरवरी को नेशनल हाईवे पर एक राष्ट्रव्यापी ट्रैक्टर रैली निकाली जाएगी और 14 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में एक महापंचायत भी होगी. बीकेयू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान ट्रैक्टरों को हाईवे और दिल्ली जाने वाले रास्ते की ओर ले जाएंगे. यह एक दिन का प्रोग्राम होगा.


14 मार्च को होगी महापंचायत


उम्मीद है कि प्रदर्शनकारी किसान 14 मार्च की महापंचायत में बिना ट्रैक्टर के शामिल होंगे. राकेश टिकैत कहते हैं कि सरकार कहती रहती है कि वे हमें नहीं रोक रहे हैं तो देखते हैं कि वे हमें रोकेंगे या नहीं. उधर संयुक्त किसान मोर्चा ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और राज्य के गृह मंत्री अनिल विज पर पंजाब-हरियाणा सीमा पर प्रदर्शनकारी किसान की "हत्या" के लिए मामला दर्ज करने की भी मांग की है. एसकेएम नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने भी खट्टर और विज के इस्तीफे की मांग की है.


हरियाणा पुलिस वसूलेगी पैसा


इस बीच, हरियाणा पुलिस ने चेतावनी दी है कि सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर प्रदर्शनकारियों की संपत्ति जब्त की जाएगी और बैंक खाते जब्त किए जाएंगे. अंबाला पुलिस की एक विज्ञप्ति के मुताबिक, किसानों के जरिए शंभू बॉर्डर पर बैरिकेड तोड़ने की कोशिश और पथराव कर कानून-व्यवस्था को बाधित करने की कोशिश से सरकारी और निजी संपत्ति को काफी नुकसान हुआ है.


बता दें, पंजाब में खनौरी बॉर्डर क्रॉसिंग पर 21 वर्षीय शुभकरन सिंह नामक किसान की मौत के बाद स्थिति का जायजा लेने के लिए किसानों ने अपना 'दिल्ली चलो' मार्च दो दिनों के लिए रोक दिया था. उधर किसानों के प्रोटेस्ट को लेकर सियासी उठापटक भी जारी है. कांग्रेस पार्टी ने मांग की है कि किसानों के गंभीर मुद्दों पर बातचीत के लिए संसद का एक खास सेशन बुलाया जाए.