शरीफ उद्दीन गुवाहाटीः असम के लखीमपुर जिले में 500 हेक्टेयर से ज्यादा अवैध कब्जे वाली वन भूमि को खाली कराने के लिए प्रशासन ने मंगलवार को मुहिम चलाया है. प्रशासन के इस मुहिम से करीब 100 से भी ज्यादा मुस्लिम परिवार प्रभावित होंगे, क्योंकि यह पूरा इलाका मुस्लिम बहुल इलाका है. इस बेदखली से प्रभावित होने वाले मुसलमान भी गरीब श्रेणी के नागरिक हैं. सूत्रों ने बताया कि प्रशासन के कई बार अधिसूचना जारी करने के बाद लगभग सभी लोग पहले ही अपने घर खाली कर चुके हैं. इनसे से ज्यादातर बंगाली मुस्लिम हैं.
गौरतलब है कि मई 2021 में सत्ता संभालने के बाद से हिमंत बिश्व शर्मा के नेतृत्व वाली सरकार राज्य में अलग-अलग जगहों पर बेदखली अभियान चला रही है. पिछले महीने इस तरह के दो मुहिम चलाए गए थे. 

प्रशासन को नहीं करना पड़ रहा है विरोध का सामना 
अफसरों ने बताया कि आरक्षित वन के 2,560.25 हेक्टेयर में से सिर्फ 29 हेक्टेयर पर फिलहाल कोई कब्जा नहीं है. मंगलवार को पहले चरण में 200 हेक्टेयर जमीन खाली कराने का लक्ष्य रखा गया था. लखीमपुर की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रूना नेओग ने बताया कि 60 से ज्यादा अफसर, ट्रैक्टर और 600 सुरक्षाकर्मी सुबह से ही इस मुहिम में जुट गए थे. उन्होंने कहा, ‘‘हमें अब तक किसी विरोध का सामना नहीं करना पड़ा है.’’ उन्होंने कहा कि मोघुली गांव में 200 हेक्टेयर जमीन को खाली कराया गयर जिस पर करीब 299 मकान बने थे. आधासोना गांव में 250 हेक्टेयर भूमि को बुधवार को खाली कराया जाएगा, वहां भी करीब 200 परिवार रहते हैं.

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असम माइनॉरिटी स्टूडेंट यूनियन ने जताया विरोध 
अतिक्रमण हटाओ अभियान के खिलाफ ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट यूनियन के सचिव अनवारूल ने कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा कि असम के मुसलमानों को लेकर ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट यूनियन मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा के खिलाफ जल्द ही विरोध-प्रदर्शन करेगी. उन्होंने कहा कि पिछले कई महीनों से मुसलमान इलाकों में ज्यादा अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाए जा रहे हैं. इसके अलावा अतिक्रमण हटाओ अभियान के खिलाफ में जमीयत उलेमा ए हिंद आसाम स्टेट के तरफ से भी नाराजगी जाहिर की गई है. 

सरकारी योजनाओं के तहत लाभ कैसे दिए जा रहे हैं
‘ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन’ के लखीमपुर जिला सचिव अनवारूल ने दावा किया है कि इन क्षेत्रों के लोग दशकों से उस जमीन पर रह रहे हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) योजना के तहत उस जमीन पर उनके घर भी बनाए गए हैं. राज्य सरकार ने आंगनवाड़ी केंद्र बनाए हैं, बिजली कनेक्शन दिए गए हैं, और मनरेगा कार्यक्रम के तहत सड़कें भी बनाई गईं. उन्होंने सवाल किया है कि इलाके में रहने वाले सभी लोग जमीन पर अवैध रूप रहने वाले हैं तो इन निवासियों को सरकारी योजनाओं के तहत लाभ कैसे दिए जा रहे हैं? वहीं मंडल वन अधिकारी (डीएफओ) अशोक कुमार देव चौधरी ने दावा किया है कि पिछले तीन दशकों में 701 परिवारों ने पावा आरक्षित वन भूमि पर अवैध कब्जा कर रखा है. 


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