Learn Urdu: गाना या म्यूजिक सुनने वाला हर शख्स राहत फतेह अली खान का गाना सुनता है. इन दिनों राहत फतेह अली खान ने बॉलीवुड में कई बेहतरीन गाने गए हैं. राहत फतेह अली खान पाकिस्तान से हैं. इसलिए वह ज्यादातर गाने उर्दू में गाते हैं. हाल ही में राहत फतेह अली खान ने 'जरूरी था' गाना गाया है. इस गाने को लोगों ने खूब सराहा है. इस गाने में उन्होंने एक लाइन गाई है, जो इस तरह से है. 'जरूरी था कि हम दोनों तवाफ-ए-आरजू करते, मगर फिर अरजुओं का बिखरना भी जरूरी था.' कई लोगों को इस लाइन का मतलब समझ आया लेकिन कई लोगों को 'तवाफ़-ए-आरजू़' (طواف آرزو) का मतलब समझ नहीं आया. ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि इसका हिंदी में क्या मतलब होता है.


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तवाफ़-ए-आरजू़ का मतलब
तवाफ अरबी का लफ्ज है. इसका मतलब होता है चक्कर लगाना. टेक्निकली देखें तो इसका मतलब होता है काबा शरीफ का चक्कर लगाना. काबा एक इमारत है. मुसलमान इसे सबसे पाक जगह मानते हैं. हज के दौरान मुसलमान काबे के 7 चक्कर लगाते हैं. काबा शरीफ का एक चक्कर एक तवाफ कहलाता है. अब आते हैं दूसरे शब्द आरजू़ पर. इसका मतलब होता है 'तमन्ना, ख्वाहिश, किसी चीज को चाहना'. गाने में ये दोनों शब्द मिला कर इस्तेमाल हुए हैं. इस तरह से हम कह सकते हैं कि 'तवाफ़-ए-आरजू़' (طواف آرزو) का मतलब 'ख्वाहिश का चक्कर' लगाना हुआ. अगर इसे एक वाक्य में कहें तो कुछ इस तरह होगा कि 'जरूरी था कि हम दोनों ख्वाहिश के चक्कर लगाते' या 'जरूरी था कि हम दोनों मिलकर ख्वाहिशों को पूरा करते.'


गाना सुनें:



गाने के बारे में
आपको बता दें कि 'जरूरी था गाना' एल्बम 'बैक 2 लव' का है. यह अल्बम साल 2014 में आई थी. इस गाने को बॉलीवुड गायक राहत फतेह अली खान ने गाया है. इस गाने के लिरिक्स खलील उर रहमान कमर ने लिखा है. इसकी म्यूजिक साहिर अली बग्गा ने दी है. यह गाना गौहर खान (Gauhar Khan) और कुशाल टंडन (Kushal Tandon) पर फिल्माया गया है.


शेर में तवाफ का मतलब
इसी तरह से एक नामालूम शायर ने लिखा है कि 'ख़ुश-आमदीद वो आया हमारी चौखट पर, बहार जिस के क़दम का तवाफ़ करती है'. मतलब बहार का मौसम जिस शख्स के कदम के चारों तरफ घूमती है.