Lok Sabha Elections 2024: बिहार के कद्दावर नेता व पूर्व सांसद पप्पू यादव ने बुधवार को अपनी 'जन अधिकार पार्टी' का कांग्रेस में विलय कर दिया और पार्टी में शामिल हो गए. पप्पू यादव और उनके बेटे सार्थक यादव का कांग्रेस नेता पवन खेड़ा और कांग्रेस के बिहार प्रभारी मोहन प्रकाश ने कांग्रेस में इस्तकबाल किया. पप्पू यादव की राजद सद्र लालू प्रसाद से मुलाकात के बाद विलय की अटकलें तेज हो गईं थीं, जिसपर आज फाइनल मुहर भी लग गई. अपनी पार्टी के कांग्रेस में विलय करने के बाद पप्पू यादव ने राहुल गांधी की जमकर तारीफ की. इसी के साथ कांग्रेस का लंबे वक्त की  वो तलाश भी खत्म हो गयी जिसका उसे कई सालों से इंतज़ार था. 


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दरअसल, बहुत लम्बे वक्त से कांग्रेस में किसी दमदार यादव नेता की कमी खल रही थी, जिसका मुस्लिम और यादव वोटरों के अलावा दूसरी कम्युनिटी पर भी अच्छी पकड़ हो. यानी वंचितों, शोषितों के लिए जो हमेशा आवाज उठाते रहे हैं. पप्पू यादव के कांग्रेस में शामिल होने से हिंदी पट्टी के राज्यों खासतौर से यूपी, बिहार में कांग्रेस को नई उर्जा मिली है.


कोशी-सीमाचल में बदला समीकरण 
पप्पू यादव के कांग्रेस में शामिल होने से बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर समीकरण पूरी तरह से बदलता हुआ दिख रहा है. खासकर कोशी और सीमांचल के बेल्ट में पप्पू यादव कांग्रेस की डूबती नैया के लिए एक नई उम्मीद लेकर आए हैं.  इन इलाकों के मुस्लिम और यादव वोटरों की तादाद अच्छी खासी है,  जिनका राजद और JDU से मोहभंग हो गया था. अब उन वोटरों को फिर से कांग्रेस पार्टी से जुड़ने की उम्मीदें बढ़ने लगी है.


राजद-कांग्रेस को फायदा
सीमांचल की चार सीटें पूर्णिया, अररिया, किशनगंज और कटिहार में पप्पू यादव की पकड़ करीब-करीब सभी विधान सभाओं में हैं. इसके अलावा कोशी की सहरसा, मधेपुरा और खगड़िया में पप्पू यादव जनता के बीच काफी एक्टिव रहे हैं, जिसका फायदा कांग्रेस और राजद को सीधे तौर पर मिलता हुआ दिख रहा है.  


यह राहुल गांधी का आशीर्वाद है: पप्पू यादव 
सूत्रों की माने तो पप्पू यादव कांग्रेस के टिकट पर पूर्णिया लोकसभा चुनाव सीट चुनावी लड़ सकते हैं. हालांकि, पप्पू यादव ने इन सवालों के जबाव में कहा कि पूर्णिया मायने नहीं रखता है. हमारे लिए इस वक्त भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकने का है. पप्पू यादव ने  कहा कि यह राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के आशीर्वाद से हुआ है.


उन्होंने कहा, "लालू जी और कांग्रेस के साथ मिलकर हम 2024 और 2025 जीतेंगे." साल 2015 में पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण पप्पू यादव को राजद ने पार्टी से निका दिया था, जिसके बाद उन्होंने एक नई पार्टी "जन अधिकार पार्टी" बनाई लेकिन उन्हें नई पार्टी बनाने के बाद भी अपने कद के मुताबिक जनता का सपोर्ट नहीं मिला. पप्पू यादव की कांग्रेस में शामिल होने के बाद बिहार में सियासी हलचल तेज हो गई है.   


लालू यादव से कोई करवाहट नहीं; पप्पू यादव 
पप्पू यादव ने इससे पहले मंगलवार को लालू यादव से मिलने के बाद कहा था कि उन दोनों के बीच बीच कोई कड़वाहट नहीं है. उन्होंने कहा था, "लालू यादव और मेरे बीच कोई राजनीतिक नहीं बल्कि पूरी तरह से एक भावनात्मक रिश्ता है. कल हम सभी एक साथ बैठे थे. हमारी कोशिश किसी भी कीमत पर सीमांचल और मिथिलांचल में बीजेपी को रोकने की है. तेजस्वी यादव ने 17 महीने तक काम किया और विश्वास बनाया, राहुल गांधी ने दिल जीता और लोगों को उम्मीद दी... साथ मिलकर, हम न सिर्फ 2024 (लोकसभा चुनाव) बल्कि 2025 (बिहार विधानसभा चुनाव) भी जीतेंगे. पूर्णिया मायने नहीं रखता, मायने रखता है भाजपा को रोकना और कमजोर वर्गों की पहचान और विचारधारा की रक्षा करना. हम कांग्रेस नेतृत्व के साथ मिलकर लड़ेंगे, जिसने इस देश का दिल जीत लिया, वही इस देश का पीएम बनेगा."