Dastarbandi: जब भी मदरसों की बात होती है, तो लोगों के ज़हन कुछ अलग सी सोच पैदा हो जाती है, लेकिन मदरसे क्या होते हैं? आज हम आपको मदरसों की हक़ीक़त की एक छोटी सी ख़ूबी के बारे में बताएंगे. यहां से तालीम हासिल करने वाले लोग अहम फराएज़ को अंजाम दे रहे हैं और अलग-अलग शोबों में मुल्क का नाम रौशन कर रहे हैं. इन स्टूडेंट ने लोगों की उस सोच को ग़लत साबित कर दिया है कि मदरसे में पढ़ने वाले स्टूडेंट सिर्फ़ दीनी तालीम ही हासिल कर सकते हैं . ये तलबा मदरसे से अपनी पढ़ाई पूरी करके अपने सर पर दस्तार का ताज पहनने जा रहे हैं .


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मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को मिली नौकरी 
दस्तारबंदी के मौक़े पर दिल्ली जामिया हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया मदरसे के डायरेक्टर महमूद ग़ाज़ी ने मदरसों से मोहब्बत की बात बयां कीं. महमूद ग़ाज़ी ने बताया कि मदरसों में लोगों की ज़िंदगी बेहतर बनाने और अल्लाह के बताए रास्ते पर चलने के बारे में बताया जाता है. मदरसों में बताया जाता है कि कैसे बच्चे समाज में एक अच्छे नागरिक बन कर रह सकते हैं और समाज को कैसे इस्लाम का पैग़ाम पहुंचा सकते हैं. दीनी तालीम लोगों को समाज से जोड़ने का काम करती है. उन्होंने बताया कि कैसे मुल्क में हज़ारों बच्चे मदरसे में पढ़ रहे हैं और उन्हें नौकरी भी मिल रही है.


तलबा की दस्तारबंदी की गई
छात्रों की जामिया हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया मदरसे में दस्तारबंदी की गई. इन छात्रों को मुल्क के बड़े मुफ्ती, आलिम और मौलवियों के हाथों से डिग्रियां दी गई हैं जिनको हासिल कर ये छात्र अब हिंदुस्तान में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रोफ़ेसर, इंग्लिश से अरेबिक ट्रांसलेटर और अरेबिक से इंग्लिश ट्रांसलेटर जैसी जॉब्स के साथ इंटरनेशनल गाइडर के तौर पर  आसानी से रोज़गार हासिल कर सकते हैं. तलबा अपने जदीद तालीम के साथ-साथ दीनी तालीम में भी आगे बढ़ रहे हैं. जिस तरह से इन छात्रों को ऐज़ाज़ से नवाज़ा गया उसे सुनकर आपके दिल में भी मदरसों की पढ़ाई के लिए दिलचस्पी बढ़ जाएगी.


Report: Changez Ayyuby


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