मोहन भागवत ने बूचड़खानों को बंद करने की रखी मांग; इस बात को लेकर बताया खतरा
Animal slaughter industry uses water on large scale adds to pollution : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि पशु वध उद्योग से बड़े पैमाने पर पानी की बर्बादी होती है और इससे प्रदूषण भी फैलता है.
उज्जैनः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि पशु वध उद्योग बड़े पैमाने पर पानी का इस्तेमाल करता है और प्रदूषण भी बढ़ाता है. उन्होंने कहा कि बूचड़खानों और संबंधित उद्योगों की वजह से पानी की खपत और प्रदूषण बढ़ जाता है. भागवत ने लोगों से बुधवार को जल संरक्षण करने की अपील की है. वह दीनदयाल शोध संस्थान और मध्य प्रदेश जन अभियान परिषद द्वारा आयोजित जल संरक्षण पर आयोजित एक सम्मेलन ’सुजलम’ में वहां मौजूद लोगों को खिताब कर रहे थे. इस कार्यक्रम में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी मौजूद थ.
मांसहार से ज्यादा अच्छा शाकाहार
भागवत ने कहा, “बड़े पैमाने पर जानवरों की हत्या से पानी की खपत बढ जाती है. वैज्ञानिक नजिरए से भी यह माना जाता है कि मांसहार से ज्यादा अच्छा शाकाहार होता है.“ हालांकि, इसके साथ ही भागवत ने यह भी कहा कि आदतों को बदलने में वक्त लगता है. भागवत ने कहा, “खाने की आदतें किसी पर थोपी नहीं जा सकतीं है. लोगों का दिमाग धीरे-धीरे बदलता है और वे बदलते हैं.“
गुरुवार को इसे खाने से परहेज करते हैं
आरएसएस प्रमुख ने यह भी कहा कि जो लोग भारत में मांसाहारी भोजन खाते हैं, वे नियमों का पालन करते हैं, और सावन के महीने में हिंदू महीने और गुरुवार को इसे खाने से परहेज करते हैं. आरएसएस प्रमुख ने कहा, ’’बूचड़खानों और इससे जुड़े उद्योगों को चलाना किसी एक की गलती नहीं है. उद्योग चलाने वाले इसे आखिर में तब समझेंगे जब मांस का सेवन कोई नहीं करेगा.“
पानी की खपत कम करनी चाहिए
भागवत ने कहा कि समाज के हर एक शख्स को परिवार के स्तर पर पानी की खपत कम करनी चाहिए. जल संरक्षण की पुरानी परंपराओं को फिर से सहेजा जाना चाहिए. आरएसएस प्रमुख ने कहा, ’’पानी इस जमीन की एक संचित संपत्ति है, जो सीमित मात्रा में ही मौजूद रह गई है. उर्वरकों के इस्तेमाल से पानी की गुणवत्ता भी मुतासिर होती है, इसलिए किसानों को उर्वरकों के आयात से बचने के लिए जैविक खाद का सहारा लेना चाहिए.
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