कोर्ट में बजरंग दल के नेता के मामले की सुनवाई का वीडियो बना रही थी एक नकाबपोश महिला !
Madhya Pradesh Woman with PFI links arrested for recording Indore court proceedings: यह मामला मध्य प्रदेश के इंदौर कोर्ट का है. वकीलों ने आरोपी महिला सोनू मंसूरी पर प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से जुड़े होने और उसके लिए काम करने का इल्जाम लगाते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया है.
इंदौरः इंदौर में एक अदालत में चल रही खुली सुनवाई को वीडियो बनाने के लिए पुलिस ने एक महिला को गिरफ्तार किया है. पुलिस को आरोप है कि महिला 30 वर्षीय महिला प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से कथित रूप से जुड़ी हुई है. अतिरिक्त पुलिस आयुक्त राजेश रघुवंशी ने बताया कि सोनू मंसूरी के रूप में पहचानी गई महिला ने बाद में पुलिस को दिए बयान में स्वीकार किया है कि एक वकील ने उसे वीडियो बनाने और उसे इस्लामिक संगठन पीएफआई को भेजने के लिए कहा था. इस काम के बदले में उसे तीन लाख रुपये दिए गए थे.
बजरंग दल की नेता के मामले की चल रही थी सुनवाई
गारैतलब है कि शनिवार को बजरंग दल की नेता तनु शर्मा से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान उनके अधिवक्ता अमित पांडेय और सुनील विश्वकर्मा ने महिला को कोर्ट रूम नंबर 2 में वीडियो शूट करते देखा था. वकीलों को शक होने पर उन्होंने महिला वकीलों की मदद से उस महिला को पकड़ लिया. इसके बाद उन्होंने एमजी रोड पुलिस को सूचित किया, जिसने शनिवार शाम को उसे हिरासत में लिया और रात में उसे औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया.
वकील के खिलाफ भी हो सकती है कार्रवाई
अफसर ने बताया कि इंदौर की रहने वाली मंसूरी ने पुलिस के सामने दावा किया है कि वरिष्ठ अधिवक्ता नूरजहां खान ने उसे वीडियो बनाकर पीएफआई को भेजने का काम दिया था. महिला ने पुलिस को यह भी बताया कि उसे इस काम के लिए तीन लाख रुपये दिए गए थे. पुलिस ने महिला से 3 लाख रुपये भी बरामद करने का दावा किया है. रघुवंशी ने कहा, “आगे की जांच जारी है और सोनू से पीएफआई के साथ उसके संबंधों के बारे में और जानकारी निकालने के लिए पूछताछ की जा रही है.उन्होंने कहा कि पुख्ता सबूत मिलने पर अधिवक्ता नूरजहां खान के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.
पीएफआई पर सरकार ने लगा दिया है प्रतिबंध
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने सितंबर 2022 में पीएफआई और उसके कई सहयोगियों को आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकी समूहों के साथ लिंक रखने और देश में सांप्रदायिक नफरत फैलाने की कोशिश करने का इल्जाम लगाते हुए कड़े आतंकवाद विरोधी कानून के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया था. प्रतिबंध से पहले, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और विभिन्न राज्य पुलिस बलों ने पीएफआई पर बड़े पैमाने पर छापे मारे थे और इसके कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को विभिन्न राज्यों से कथित तौर पर गिरफ्तार किया था.
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