Manipur Violence: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने मंगलवार को मणिपुर सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि हिंसाग्रस्त पूर्वोत्तर राज्य में आगे कोई हिंसा न हो. देर रात जारी एक बयान में NHRC ने राज्य सरकार से जातीय हिंसा से प्रभावित पीड़ितों के राहत और पुनर्वास के बारे में भी जानकारी देने को कहा है.


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मानवाधिकार पैनल ने कहा, "अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि आगे कोई हिंसा न हो. जिसके कारण मानवाधिकारों का उल्लंघन हो." बयान में कहा गया है, "इसलिए यह जानना जरूरी हो जाता है कि काफी समय से हो रही घटनाओं और लंबे समय से जारी गड़बड़ियों के सिलसिले में संबंधित प्राधिकारी ने क्या कार्रवाई की है."


NHRC ने कहा कि उसने पीड़ितों और मृतकों के परिजनों के पुनर्वास के लिए उठाए गए कदमों और आज तक पुनर्वास किए गए पीड़ितों के व्यक्तियों या परिवारों की संख्या के बारे में भी पूछा है. इसके अलावा NHRC ने पूछा है कि दुर्भाग्यपूर्ण हिंसा के कारण मरने वाले मृतकों के परिजनों को अनुकंपा रोजगार की प्रक्रिया शुरू की गई है या नहीं और ऐसी प्रक्रिया का चरण क्या है ?


आयोग ने मानव जीवन को बचाने और निजी और सार्वजनिक दोनों संपत्तियों की रक्षा करने, विशेष रूप से महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने और बढ़ावा देने के उद्देश्य से "सद्भाव को बढ़ावा देने और आम भाईचारे को बहाल करने" के लिए संबंधित अधिकारियों द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में भी पूछा है. 


आगे आयोग ने कहा, " NHRC यह भी उम्मीद करता है कि समुदायों को हिंसा का सहारा लेने से रोकने और शांति, सद्भाव और एकजुटता बनाए रखने के लिए पर्याप्त उपाय किए जाने चाहिए ताकि भाईचारे के बंधन को मजबूत किया जा सके. जो अनुच्छेद 51 (A) में निहित महत्वपूर्ण मौलिक कर्तव्यों में से एक है." 


एनएचआरसी ने कहा, अधिकारियों द्वारा उठाए गए कदमों के संबंध में कोई टिप्पणी किए बिना यह निर्देशित किया जाता है कि पुनर्वास उपाय शुरू किए जाएं और पीड़ितों या उनके परिवारों को मुआवजे की पेशकश "बिना किसी भेदभाव या मनमानी के ना हो."


NHRC एक बयान में कहा गया है कि यह भी देखा गया है कि प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी और आयोग को दो सप्ताह के भीतर एक व्यापक कार्रवाई रिपोर्ट द्वारा सूचित किया जा सकता है.


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