Manipur Violence: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मणिपुर में जातीय हिंसा के दौरान महिलाओं के खिलाफ हिंसा के सभी मामलों की निगरानी करने का फैसला किया और एक समिति का गठन किया है. जिसमें तीन सेवानिवृत्त महिला हाई कोर्ट की न्यायाधीश शामिल किया गया है. जो मणिपुर हिंसा ग्रस्त इलाको का दौरा करेगी और सुप्रीम कोर्ट को जानकारी उपलब्ध कराएगी.


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भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने 3 मई के बाद से कम से कम 160 लोगों की जान लेने वाली सांप्रदायिक झड़पों को खत्म करने के लिए केंद्र और मणिपुर सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर नजर रखने का फैसला करते हुए कहा कि "अदालत जांच की अनिवार्य परतें जांच में निष्पक्षता, विश्वास की भावना और कानून का शासन की शुरूआत करेंगी. अदालत ने पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) दत्ता पडसलगीकर को अपराधों के कम से कम 12 मामलों में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा की जाने वाली जांच की देखरेख का प्रभारी बनाया है. 


आपको बता दें कि इनमें से एक मामला भीड़ द्वारा दो कुकी महिलाओं के कपड़े उतारकर उन्हें नग्न घुमाने के 30 सेकंड के भयावह वीडियो क्लिप से संबंधित है. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट को स्वत: संज्ञान लेना पड़ा. इसके बाद 28 जुलाई को सीबीआई को केस सौंप दिया गया. जबकि मणिपुर के बाहर से पुलिस उपाधीक्षक (Dy SP) रैंक के कम से कम पांच अधिकारी महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों की जांच करने वाली सीबीआई टीमों के साथ भेजा गया है. जो समय-समय पर रिपोर्ट करेगी. 


सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा, "हम एक अतिरिक्त निरीक्षण चाहते हैं जो हमें रिपोर्ट करेगी." जिसमें न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. क्योंकि इसने इन मामलों में जांच की निगरानी करने और समय-समय पर रिपोर्ट पेश करने के लिए पडसलगिकर को प्रभारी नियुक्त किया है. 


केंद्र और राज्य की ओर से पेश हुए अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कोर्ट ने कहा, "हमारे लिए आज ट्रायल को स्थानांतरित करने का निर्देश देना जल्दबाजी होगी क्योंकि हम अभी भी जांच के चरण में हैं. हम अनुरोध को अस्वीकार नहीं कर रहे हैं. लेकिन आज इस पर निर्णय नहीं ले रहे हैं."


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