Manipur Violence: मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, सुरक्षा बलों को भीड़ पर चलानी पड़ी गोली
Manipur Violence: मणिपुर में हिंसा लगातार जारी है. इस हिंसा में अबतक 120 से अधिक लोगों कि मौत हो गई है और 3000 से अधिक लोग घायल है. में सामान्य स्थिति वापस लाने के लिए मणिपुर पुलिस के अलावा लगभग 40,000 केंद्रीय सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है.
Manipur Violence: समाचार एजेंसी पीटीआई को सूत्रों ने शनिवार को बताया कि 150 से 200 लोगों की भीड़ ने यहां कांगला किले के पास दो वाहनों को आग लगा दी और पुलिस से हथियार छीनने की भी कोशिश की, जिसके बाद सुरक्षा बलों को भीड़ पर गोली चलानी पड़ी. हालांकि किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है.
सुरक्षाकर्मियों की दो टुकड़ियां सेना और असम राइफल्स की एक-एक हिंसा को समाप्त करने के लिए शुक्रवार रात को सोंगडो गांव के सामान्य क्षेत्र में चली गईं. सूत्रों ने कहा कि अतिरिक्त सीमा सुरक्षा बल के जवानों को शामिल करने से बिष्णुपुर बाजार क्षेत्र में हस्तक्षेप हुआ. उन्होंने बताया कि 150-200 लोगों की भीड़ ने शुक्रवार रात कांगला किले के पास महाबली रोड पर दो वाहनों में आग लगा दी.
भीड़ ने पुलिस से हथियार छीनने की भी कोशिश की. जिससे उन्हें भीड़ पर गोली चलाने के लिए मजबूर होना पड़ा. सूत्रों ने बताया कि अभी तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है. इस बीच 100 से 200 लोगों की एक और भीड़ यहां महल परिसर में रात के दौरान संभावित हिंसा के लिए एकत्र हुई. सूत्रों ने बताया कि सेना और रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) के जवानों ने देर रात 12:30 बजे तक भीड़ को तितर-बितर कर दिया.
सूत्रों के मुताबिक आधी रात तक इंफाल पूर्वी जिले के यिंगांगपोकपी के पास रुक-रुक कर गोलीबारी की खबरें आ रही थीं. स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है. जानकारी के लिए बता दें कि गुरुवार और शुक्रवार की मध्यरात्रि को बिष्णुपुर जिले के कांगवई इलाके में दो समुदायों के बीच जातीय झड़प में मणिपुर पुलिस के एक कमांडो और एक किशोर सहित चार लोगों की मौत हो गई.
उन्होंने बताया कि जिन इलाकों में दोनों समुदायों के लोग करीब रहते हैं. वहां तनाव बढ़ने से रोकने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा बनाए गए बफर जोन के बावजूद रात के दौरान गोलीबारी हुई है.
जानकारी के लिए बता दें कि अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में 3 मई को पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किए जाने के बाद भड़की जातीय हिंसा के बाद से 120 से अधिक लोगों की जान चली गई है और 3,000 से अधिक घायल हुए हैं. हिंसा को नियंत्रित करने और राज्य में सामान्य स्थिति वापस लाने के लिए मणिपुर पुलिस के अलावा लगभग 40,000 केंद्रीय सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है.
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