गुवाहाटीः भाजपा शासित राज्यों में मदरसों को लेकर आम तौर पर ऐसी छवि गढ़ दी गई है कि यहां पढ़ने वाले बच्चे आम बच्चों से कमजोर होते हैं, और वह जिंदगी की रेस में पिछड़ जाते हैं. असम में हाल के दिनों में हेमंत विश्वा शर्मा की सरकार ने सैंकड़ों मदरसों को अवैध और वहां गैर-कानूनी गतिविधियों के संचालन का हवाला देकर बंद कर दिया है. शर्मा ने आने वाले समय में 300 और मदरसों को बंद करने की बात कही है. इसी बीच असम में एक मदरसे के पासआउट छात्र ने हायर सेकेंड्री क्लास में टॉप रैंक हासिल कर लोक विमर्श छेड़ दिया है कि मदरसे के छात्रों को भी अगर आगे मौका दिया जाए, तो जिंदगी में वह भी कुछ अच्छा कर सकते हैं. 

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मौलवी बनने के बाद लिया था स्कूल में एडमिशन 
असम के उदालगुरी जिले के मदरसे मैं पढाई करने वाले मौलाना सद्दाम हुसैन ने इस बार असम हायर सेकेंडरी एग्जाम में अपने इलाके में टॉप किया है. खारुपेतिया सरकारी कॉलेज से मौलाना सद्दाम हुसैन ने अपनी हायर सेकेंडरी की परीक्षा दी थी. कॉलेज में उसने सर्वाधिक अंक स्कोर किए हैं. खेती कर अपने घर चलाने वाले किसान हसन अली के बेटे मौलाना सद्दाम हुसैन की इस कामयाबी पर कॉलेज सहित पूरे इलाके में खुशी का माहौल है. मौलाना सद्दाम हुसैन ने मदरसे में रहकर इस्लामी शिक्षा हासिल की थी और बाद में उन्होंने स्कूल में दसवीं में एडमिशल लेकर दोबारा अपनी स्कूली पढ़ाई शुरू की थी. 10 वीं क्लास में भी सद्दाम हुसैन का परीक्षा परिणाम काफी बेहतर आया था. 12वीं में मौलाना सद्दाम हुसैन को 86.8 परसेंटेज मार्क्स हासिल हुए हैं. 

दीनी तालीम के बाद आसान हो जाता है सामान्य शिक्षा का सफर 
मौलाना सद्दाम हुसैन ने कहा, "मैं एक खेती करने वाले किसान पिता का बेटा हूं. मैंने मौलाना बनने के बाद ही जनरल पढ़ाई शुरू की थी. मैं अपनी इस कामयाबी के लिए अपने शिक्षकों और माता पिता को शुक्रिया अदा करता हूं. मैं लोगों को यह संदेश देना चाहता हूं कि जो लोग यह सोचते हैं कि मदरसे में पढ़ने वाले जेनरल शिक्षा नहीं ले सकते हैं, वह सरासर गलत हैं. मदरसे में पढ़ने वाले लोगों को कम न समझा जाए. कुरान और दीन की शिक्षा लेने के बाद दुनिया की शिक्षा हमारे लिए और आसान बन जाती है. हम वह सब कुछ कर सकते हैं, जो स्कूल और कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र करते हैं. " 


गुवाहाटी से शरीफ उद्दीन अहमद की रिपोर्ट


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