नई दिल्लीः पुडुचेरी के मशहूर जवाहरलाल पीजी मेडिकल शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (जिपमेर) का एक 21 वर्षीय मेडिकल छात्र अपने डोमिसाइल संबंधी दावे की वजह से कानूनी पचड़े में फंस गया है. छात्र के इस मामले के सामने आने के बाद मेडिकल प्रवेश के मानदंडों के उचित पालन और नियमों को सख्ती से लागू करने की मांग तेज हो गई है. नजीह खालिद नाम के एक छात्र ने पिछले साल राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) में 99.30 पर्सेंटाइल हासिल किए थे. उसे डोमिसाइल कोटे के तहत जिपमेर में दाखिला भी मिल गया था, लेकिन उसके दाखिले को मेडिकल के  18 वर्षीय एक अन्य छात्र सामीनाथन एस ने चुनौती दी है.

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पुडुचेरी के साथ-साथ केरल में किया था मूल निवास का दावा 
सामीनाथन ने इल्जाम लगाया है कि खालिद ने पुडुचेरी के साथ-साथ केरल में भी अपने मूल निवास का दावा किया था. सामीनाथन ने खालिद का दाखिला रद्द करने के लिए पिछले साल नवंबर में मद्रास हाईकोर्ट का रुख किया था. प्रवेश मानदंडों के मुताबिक, कोई छात्र मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए आवेदन करते वक्त एक शैक्षणिक सत्र में एक से ज्यादा राज्यों में मूल निवास स्थान का दावा नहीं कर सकता है. केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी के छात्रों के हितों के लिए खड़े होने वाले एक संगठन ने दावा किया है कि कई छात्र अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग मूल निवास स्थान मानदंडों का फायदा उठाते हैं और अच्छे अवसर हासिल करने के लिए कई राज्यों में दाखिले के लिए आवेदन करते हैं.

खालिद का दाखिला रद्द करने की अपील 
‘पुडुचेरी यूटी ऑल सेंटैक स्टूडेंट्स पेरेंट्स एसोसिएशन’ के सद्र एम नारायणसामी ने कहा, ‘‘दो जगह मूल निवास का दावा करने की समस्या कई राज्यों में, विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में काफी आम हो गई है. छात्रों को पता होना चाहिए कि इससे उनके करियर पर असर पड़ सकता है.’’ सामीनाथन को जिपमेर के कराईकल कैंपस में दाखिला मिला है जबकि जिपमेर के पुडुचेरी कैंपस को बेहतर माना जाता है. उसने अदालत से अपील की है कि खालिद का दाखिला रद्द कर दिया जाए, क्योंकि उसने एक झूठा हलफनामा दाखिल करके कॉलेजों को गुमराह किया है. सामीनाथन ने खालिद का एडमिशन रद्द कर उसे पुडुचेरी कैंपस में दाखिला दिए जाने की अपील की है. 

कोर्ट ने इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है
हाईकोर्ट ने इस मामेल में पुडुचेरी के चिकित्सा शिक्षा निदेशक (डीएमई), स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस), केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, खालिद और अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है.  वहीं, इस मामले में खालिद का कहना है कि उसने कोई गलती नहीं की है, लेकिन डीएमई द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में तस्दीक की गई है कि उसने 2022-23 शैक्षणिक सत्र में भी केरल में मूल निवास का दावा किया था. हाईकोर्ट ने तब पुडुचेरी के डीएमई से अपनी राय देने को कहा था. डीएमई ने 24 जनवरी 2023 को सुनवाई के दौरान कहा था कि दोनों छात्रों की सीट आपस में बदल दी जानी चाहिए. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए डीएमई की तरफ से पेश वकील से हलफनामा दाखिल करने को कहा था. डीएमई ने छह फरवरी को दाखिल एक हलफनामे में अदालत को बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को इस मामले में कार्रवाई करने का अधिकार है और उसे इस मामले से रूबरू करा दिया गया है. फिल्हाल कोर्ट ने इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है.


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