Sadbhavna Sammelan: दिल्ली में हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद के पहले सद्भावना सम्मेलन में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्मगुरु शामिल हुए. इस तरह के सम्मेलनों का ऐलान जमीयत ने देवबन्द में किया था जिसकी शुरुआत आज दिल्ली से हुई. इन सम्मेलनों का मकसद देश में नफरत, कट्टरता को रोकना और भाई चारे का संदेश फैलाना है. ताकि सभी धर्मों के लोग एक साथ मिल कर घृणा के खिलाफ मोहब्बत का पैग़ाम दे सकें.


इस्लाम देता है मोहब्बत का पैगाम


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प्रोग्राम के दौरान मौलाना महमूद असद मदनी ने कहा, "भारत विश्व गुरु के रूप में बने और बन रहा है, इस अधिकार को छीनने की कोशिश कर रहे वह नफ़रत के सौदागर है. इस्लाम में मोहब्बत का पैगाम दिया है, नफ़रत का नहीं. भारत आज ऐसे मोड़ पर है जहां इस तरह के कार्यक्रमों की जरूरत है."


7 बिंदुओं के जरिए देश का माहौल ठीक करने का ऐलान


जमीयत ने देश में खराब होते महौल को देखते हुए 7 बिन्दुओ के जरिए महौल ठीक करने का ऐलान किया है, इसमें आपसी सद्भावना व सम्मान और मानवता के माहौल को पुरे देश में मज़बूत करना और राष्ट्र, देश की सेवा के लिए हमेशा आगे रहना शामिल है. इसके साथ ही धार्मिक व सामाजिक भेदभाव और नफरत को खत्म करना, धर्म व धार्मिक गुरु के खिलाफ औछे शब्द का प्रयोग ना करना वहीं किसी भी क्षेत्र में कोई भी समस्या आने पर आपस में बैठकर समस्या का समाधान निकालना और परेशान हाल और गरीबों की मदद के लिए आगे आना चाहे पीड़ित किसी भी धर्म का व्यक्ति का हो.


सद्धभावना कमेंटी का होगा निर्माण


जमीयत ने यह भी ऐलान किया है कि संगठन सभी इलाकों में सद्भावना कमेटी का निर्माण करेगा और साझा मीटिंग का आयोजन भी किया जाएगा ताकि देश के बिगड़ते महौल सही किया जा सके. प्रोग्राम के दैरान मौलाना महमूद असद मदनी ने कहा, "जैसा माहौल मुल्क में बनाया जा रहा है, उसे बदलने के लिए हमारी तरफ से कोशिश की जा रही है उसी कोशिश के साथ सभी धर्मों और समाजसेवियों को बुलाकर सद्भावना सम्मेलन का आयोजन किया गया है. जो हालाक चल रहे हैं उस से किसी एक व्यक्ति या समुदाय का नुकसान नहीं होगा बल्कि देश का नुकसान होगा."


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