Mirza Ghalib Death Anniversary: खुद को आधा मुसलमान मानते थे मिर्जा गालिब; पढ़ें उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से
Mirza Ghalib: मिर्जा गालिब ने 11 साल की उम्र में लिखना शुरू किया. उनकी 13 साल की उम्र में शादी हो गई थी. गालिब के 7 बच्चे हुए, लेकिन एक भी जिंदा नहीं रहा. उनकी जिंदगी तंगहाली में गुजरी.
Mirza Ghalib: मिर्जा गालिब का पूरा नाम मिर्जा असदु्ल्लाह खां गालिब था. वह उर्दू के सबसे बड़े शायरों में शुमार होते हैं. उनकी शायरी आज ही नहीं बल्कि हर दौर में मशहूर रही है. उन्हें उर्दू, तुर्की, अरबी, फारसी और हिन्दी भाषाएं आती थीं. मिर्जा गालिब 27 दिसंबर 1797 में आगरा में पैदा हुए. वह 15 फरवरी साल 1869 को इस दुनिया को अलविदा कह गए थे. मिर्जा गालिब की आज पुण्यतिथि है. इस मौके पर आज हम आपके सामने पेश कर रहे हैं मिर्जा गालिब के कुछ मशहूर किस्से.
आधे मुसलमान थे गालिब
कहा जाता है कि एक बार एक अंग्रेज कर्नल ने मिर्जा गालिब से पूछा कि "क्या आप मुसलमान हैं?". इस पर मिर्जा गालिब ने कहा कि "मैं आधा मुसलमान हूं." इस पर अंग्रेज ने पूछा कि "वो कैसे"?, तो गालिब ने कहा कि "मैं शराब तो पीता हूं लेकिन सुअर नहीं खाता."
कभी घर नहीं खरीदा
मिर्जा गालिब ने अपनी जिंदगी गरीबी में गुजारी है. गालिब 50 साल तक दिल्ली में रहे लेकिन उन्होंने अपने लिए कभी घर नहीं खरीदा. वह हमेशा किराए के मकान में ही रहे. बताया जाता है कि दिल्ली के चांदनी चौक में बल्लीमारान की कासिम गली में मौजूद गालिब हवेली को उनके किसी फैन ने उन्हें तोहफे में दी थी.
कभी किताब नहीं खरीदी
मिर्जा गालिब के बारे में मशहूर है कि उन्होंने कभी किताब नहीं खरीदी थी. बताया जता है कि उस वक्त किताबें किराए पर मिलती थीं. एक सख्स उन्हें किताबें देकर जाता था. गालिब किताबें पढ़कर उसे किराए के साथ वापस कर दिया करते थे.
शराब की व्यवस्था
मिर्जा गालिब के बारे में यह मशहूर है कि वह शराब बहुत पीते थे. बताया जाता है कि गालिब एक बार मस्जिद में नमाज पढ़ने गए थे. इतने में एक शख्स शराब ले आया, तो गालिब शराब लेकर बिना नमाज पढ़े मस्जिद से वापस चले आए.
गालिब के बारे में मशहूर है कि उनकी अंग्रेज अफसरों से इसलिए ज्यादा पटती कि उनके पास अच्छी शराबें हुआ करती थीं. मेरठ की छावनी से गालिब के लिए अक्सर शराब आती थी.
कहा जाता है कि गालिब जब भी कभी वजीफा (रुपये) पाते थे, तो वह सबसे पहले अपने लिए एक महीने की शराब का इंतेजाम कर लिया करते थे. इसके बाद वह घर का खर्च रखते थे.
गधे भी नहीं खाते आम
मिर्जा गलिब को आम बहुत पसंद थे लेकिन उनके एक दोस्त को आम नहीं पसंद थे. ऐसे में गालिब अपने दोस्त के साथ कहीं जा रहे थे. रास्ते में एक आम पड़ा था. वहीं पास से एक गधा निकला और उसने आम को सूंघ कर बिना उसे खाए आगे बढ़ गया. ऐसे में गालिब के दोस्त ने गालिब की टांग खींचने के लिए कहा कि देखो गधे भी आम नहीं खाते. इस पर मिर्जा गालिब ने जवाब दिया कि गधे ही आम नहीं खाते.