मणिपुर में 5 दिनों के लिए इंटरनेट सेवा सस्पेंड, दो जिलों में दो महीने के लिए धारा 144 लागू
Manipur Internet Services: बिष्णुपुर में इससे पहले एक खास समुदाय ने तीन से चार युवकों ने शनिवार की शाम एक गाड़ी में आग लगा दी थी, जिसके बाद से इलाके में तनाव की सूरते हाल पैदा हो गई.
इंफाल: मणिपुर में सरकार ने राज्यभर में अगले पांच दिनों तक मोबाइल इंटरनेट की सेवाएं बंद कर दी हैं. हुकूमत ने ये कदम राज्य के कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव फैलने के कारण उठाया है. आशंका जताई जा रही है कि सोशल मीडिया के जरिए भड़काऊ और आपत्तिजनक बयान फैला कर लोगों को भड़काने की कोशिश की जा रही है. इंटरनेट सेवा सस्पेंड करने के साथ ही अगले दो महीने के लिए चुराचांदपुर और बिष्णुपुर जिलों में सीआरपीसी की धारा-144 लागू कर दी गई है.
दरअसल बिष्णुपुर में इससे पहले एक खास समुदाय ने तीन से चार युवकों ने शनिवार की शाम एक गाड़ी में आग लगा दी थी, जिसके बाद से इलाके में तनाव की सूरते हाल पैदा हो गई. हालांकि इसके फौरन बाद प्रशासन हरकत में आ गया. बिष्णुपुर में जिला जज की तरफ से अगले दो महीने के लिए धारा 144 लागू करने का फरमान जारी कर दिया.
हालांकि इस खदशे का भी इजहार किया जा रहा है कि हुकूमत की तरफ से उठाए जा रहे सख्त इकदाम के सबब बिष्णुपुर और चुराचांदपुर में आम लोगों को सख्त मुश्किलों का सामना करना पड़ा सकता है. क्योंकि यहां पहले से ही ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर की ओर से शुक्रवार को राज्य से गुजरने वाले नेशनल हाईवे पर आर्थिक रूप से नाकेबंदी की गई है, जिससे आम लोग कुछ परेशानी में हैं.
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गौरतलब है कि ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर ने हुकूमत से हाड़ी क्षेत्रों को तत्काल और अधिक स्वायत्तता देने की मांग को लेकर बंद का आह्वान किया था. इस संगठन की मांग है कि मणिपुर में आदिवासी समूह एडीसी (संशोधन) विधेयक 2021 को राज्य विधानसभा में पेश किया जाए. इस विधेयक का मकदस जनजातीय क्षेत्रों को अधिक स्वायत्तता देना है. हालांकि ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर की तरफ से विरोध-प्रदर्शन शुरू हुए एक हफ्ता का वक्त गुजर चुका है और आने दिनों में इसके और ज्यादा तेज होने की उम्मीद है. दरअसल, इससे पहले मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह की अगुवाई वाली भाजपा सरकार ने मंगलवार को मणिपुर (पर्वतीय क्षेत्र) जिला परिषद छठे एवं सातवें संशोधन विधेयक पेश किए थे, जिसके बाद से विरोध-प्रदर्शन का आगाज हुआ है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार की तरफ से पेश किए गए विधेयक उनकी मांगों के अनुरूप नहीं हैं.
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