What is Moharram? आज देश भर में मुहर्रम मनाया जा रहा है. लोग हजरत इमाम हुसैन की याद को ताजा कर रहे हैं. लोग अलग-अलग अंजुमनों के साथ मातम करते हुए कर्बला तक पहुंच रहे हैं. कुछ लोग ताजिया और अलम को भी कर्बला में दफनाने के लिए ले जा रहे हैं. इस दौरान कई लोगों ने तलवारबाजी, लट्ठबाजी और कुश्ती जैसे करतब दिखाए. 


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इन जगहों पर मनाया जा रहा मोहर्रम


भारत में लखनऊ, हैदराबाद और श्रीनगर में बड़ी तादाद में मोहर्रम का जुलूस निकाला जाता है. इसकी वजह यह है कि यहां पर बड़ी तादाद में शिया समुदाय के लोग रहते हैं. मोहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना है. आज मोहर्रम की 10 तारीख है. आमतौर से मुहर्रम को शिया मुस्लिम समुदाय गम का महीना मानता है. 


निकलते हैं जुलूस


मोहर्रम के दिन बड़ी तादाद में ताजिया निकाली जाती है. ताजिया बांस के ढांटे और चमकीले पेपर से बनाई गई आकृति होती है. इसे हजरत इमाम हुसैन का के मकबरे का प्रतीक माना जाता है. ताजिया को जुलूस के साथ निकालते हैं. इसके साथ कई लोग मातम करते हुए, नोहा पढ़ते हुए कर्बला पहुंचते हैं. और इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं. 


कर्बला का इतिहास


मान्यता है कि इस्लाम के पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लललाहो अलैहि वसल्लम के नवासे हजरत इमाम हुसैन और उनके परिवार को कर्बला के मैदान में शहीद कर दिया गया था. चूंकि 10 मोहर्रम को ही कर्बला की जंग हुई थी और इमाम हुसैन की शहादत भी 10 तारीख को हुई थी इसलिए 10 मोहर्रम को ही इसे मनाया जाता है. 


झारखंड में मनाया जा रहा मोहर्रम


इसी सिलसिले में झारखंड के गिरिडीह में मुहर्रम के मौके पर शनिवार की सुबह जिले अखाड़ा कमिटियों ने जगह- जगह एक से बढ़कर एक हैरतअंगेज करतब व खेल का प्रदर्शन किया गया. शनिवार को मुहर्रम के मौके पर तमाम इमामबाड़ा में मुस्लिम समुदाय के लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. इधर शनिवार की सुबह शहरी क्षेत्र के बरवाडीह, बुढियाखाद, पचंबा, बिशनपुर के अलावे विभिन्न इलाकों से दर्जनों अखाड़ा जुलूस निकाली गई. इस दौरान अखाड़ा- जुलूस में शामिल लोगों ने कई हैरतअंगेज खेल का प्रदर्शन किया और तिरंगे फहराये.


नोट- यह खबर आम जानकारी पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं. ज्यादा जानकारी के लिए आप एक्सपर्ट से जानकारी हासिल करें.