Madhya Pradesh news: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका को लेकर राज्य सरकार और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से शनिवार को जवाब तलब किया. दरअसल,  इस याचिका में राज्य में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत शादी की न्यूनतम उम्र के प्रोविजन्स को सभी कम्युनिट पर समान तरीके से लागू कराए जाने की गुहार की गई है.


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पिटीशन में किया गया है ये दावा
पिटीशन में दावा किया गया है कि शादी की न्यूनतम कानूनी उम्र को लेकर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 और मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेंट एक्ट 1937 के बीच "टकराव" की स्थिति है. हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के जस्टिस सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और जस्टिस दुप्पला वेंकटरमणा ने सोशल वर्कर डॉ. अमन शर्मा की जनहित याचिका पर सेंट्रल और स्टेट की गवर्नमेंट्स के साथ ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को नोटिस जारी किए और 4 हफ्ते में जवाब तलब किया.


पिटीशनर के वकील ने क्या कहा?
पिटीशनर के वकील अभिनव धनोडकर ने बताया कि, "बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के मुताबिक देश में 21 साल से कम उम्र के लड़के और 18 साल से कम उम्र की लड़की की शादी कानूनी क्राइम की कैटेगरी में आती है, जबकि मुस्लिम पर्सनल लॉ शरीयत (अनुप्रयोग) एक्ट के प्रोविजन बालिग होने की उम्र में लड़के-लड़कियों के शादी की इजाजत देते हैं."


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पिटीशनर ने अदालत से लगाई ये गुहार
उन्होंने कहा कि बालिग होने की उम्र को मोटे तौर पर 15 साल माना जा सकता है. धनोडकर ने कहा कि जनहित याचिका में हाईकोर्ट से यह व्यवस्था देने की गुहार लगाई गई है कि राज्य में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम को सभी कम्युनिटी के अपने कानूनों से ऊपर रखा जाए. उन्होंने बताया कि पिटीशन में अदालत से यह दरख्वास्त भी किया गया है कि वह राज्य में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत शादी की न्यूनतम उम्र के प्रोविजन्स को सभी समुदायों पर समान तरीके से लागू कराने के वास्ते जरूरी कानूनी बदलावों के लिए सही निर्देश जारी करे.