MP News: देश में नाम का बदलने का सिलसिला अभी भी जारी है. बीते कुछ सालों में  कई जिलों, रेलवे स्टेशन, गांव  और सड़कों के नाम बदले गए हैं. हालांकि, ये कोई नई बात नहीं है. नाम बदलने का ये सिलसिला कई दशकों से चल रहा है, लेकिन खास बात  यह है कि बदले गए जगह के नामों में ज्यादातर जगहों के नाम उर्दू लफ्ज वाले थे या फिर मुस्लिम से जुड़े हुए थे.  रविवार, 5 जनवरी को मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने उज्जैन जिले की तीन ग्राम पंचायतों के नाम बदलने का ऐलान किया, जिनमें मौलाना, जहांगीरपुर और गजनीखेड़ी है. 


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सीएम मोहन यादव के इस घोषणा के बाद अब यहां के कुछ और उर्दू नाम वाले जगहों के नाम बदलने की मांग ने जोर पकड़ लिया है. यह मांग साधु संतों ने की है. उनका कहना है कि महाकालेश्वर मंदिर के आसपास के कुछ इलाके ऐसे हैं जिन्हें बेगम बाग, अंडा गली और तोपखाना के तौर पर पहचाना जाता है, इसलिए इन जगहों के नाम को बदल दिया जाना चाहिए. 


महाकाल मंदिर के पुजारी महेश शर्मा का कहना है कि उज्जैन भगवान शिव की नगरी है, बेगम बाग जैसे नाम प्रासंगिक नहीं है. यहां की पहचान महादेव से होनी चाहिए. महाकाल मंदिर के आसपास के क्षेत्र को महाकाल वन या महाकाल क्षेत्र नाम दिया जाना चाहिए.


एमपी ने क्या कहा?
वहीं, उज्जैन के सांसद अनिल फिरोजिया ने कहा है कि देवास गेट बस स्टैंड से महाकाल मंदिर तक जाने वाले रोड का नाम महाकाल लोक मार्ग किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सीएम ने जिन तीन ग्राम पंचायतों के नाम बदले हैं वह स्वागतयोग्य कदम है.


 पुजारी और साधु संतों ने की ये मांग
उज्जैन के पुजारी और साधु संतों ने कहा कि बेगम बाग और अंडा गली का नाम बदलकर वैदिक या किसी वैज्ञानिक के नाम पर रखा जाना चाहिए, उनकी यह सालों पुरानी मांग है और इस दिशा में सरकार को सकारात्मक कदम उठाना चाहिए.