MP  Ratlam rape case compensation: मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में सामूहिक बलात्कार के आरोपों से बरी होने के बाद, एक शख्स ने राज्य सरकार से 10 हजार करोड़ रुपये की मुआवजे की मांग की है. शख्स ने इतनी बड़ी मुआवजे की रकम के पक्ष में दलील देते हुए कहा है कि इन आरोपों से उसे खतरनाक मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ा और जेल में रहने की वजह से उसका परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गया था. याचिका के मुताबिक, 10,006.02 करोड़ रुपये के मुआवजे में से, शख्स ने मनुष्यों को यौन सुख जैसे भगवान के दिए उपहार से वंचित रहने के लिए अतिरिक्त 2 लाख रुपये की मांग की है.

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परिवार को हुई पीड़ा के लिए भी मांगा हर्जाना 
शख्स के वकील विजय सिंह यादव ने कहा है कि 20 अक्टूबर, 2022 को एक स्थानीय अदालत द्वारा सामूहिक बलात्कार के आरोपों को खारिज करने के बाद कांटू उर्फ कांतिलाल भील (35) ने जिला और सत्र अदालत में मुआवजा मांगने के लिए रुख किया है. मप्र सरकार और जांचकर्ताओं के खिलाफ उनके मामले की सुनवाई 10 जनवरी को कोर्ट ने तय की है. भारी भरकम मुआवजे की रकम के  बारे में पूछे जाने पर, वकील यादव ने कहा कि 10,000 करोड़ रुपए इस आधार पर मांगे गए हैं कि इंसानों की जिंदगी अनमोल है, जबकि शेष 6.02 करोड़ रुपए दूसरे तरह के नुकसान के लिए मांगा गया है. इसमें 2 लाख रुपए का कानूनी खर्च, मानसिक पीड़ा और परिवार की पीड़ा का शामिल है. 

जेल में रहने के दौरान परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गया 
कांतिलाल भील ने अपनी याचिका में कहा है कि 23 दिसंबर, 2020 को सामूहिक बलात्कार के एक केस में जब पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया तो वह अपने परिवार के लिए एकमात्र कमाने वाला हाथ था. यादव ने कहा कि भील पैसे कमाकर अपनी बूढ़ी मां, पत्नी और  तीन बच्चों की जिंदगी चलाता था. यादव ने कहा कि उनके मुवक्किल ने सामूहिक बलात्कार के झूठे इल्जामों के कारण उन्हें और उनके परिवार को होने वाले मानसिक पीड़ा का हवाला देते हुए 10,006.02 करोड़ रुपए के मुआवजे की मांग की है, क्योंकि उनकी गैर-मौजूदगी में भील का परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गया था.

कोर्ट में नहीं टिक पाया केस, मुल्जिम हो गया बरी 
भील के वकील यादव के मुताबिक, एक महिला ने 20 जुलाई, 2018 को कांतिलाल भील के खिलाफ मनासा थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें इल्जाम लगाया गया था कि उसने महिला को उसके भाई के घर छोड़ने के बहाने उसके साथ बलात्कार किया था. महिला ने इल्जाम लगाया था कि भील ने उसे दूसरे व्यक्ति को सौंप दिया, जिसने दावा किया कि उसे आजाद करने से पहले छह महीने तक उसके साथ बलात्कार किया. शिकायत के कारण भील की गिरफ्तारी और लगभग दो साल तक कारावास हुई थी, लेकिन कोर्ट में यह मामला टिक नहीं पासा और भील को बाइज्जत अदालत ने बरी कर दिया.


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