नई दिल्लीः लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने इतवार को कहा कि संविधान के सामने सभी मजहब बराबर है. इसलिए सांसदों को किसी भी मजहब के बारे में भड़काऊ बयान देने से बचना चाहिए और हर वक्त संसद की की इज्जत और इसका वकार बुलंद रखना चाहिए. लोकसभा सद्र के तौर पर इतवार को तीन साल पूरे करने वाले बिरला ने अब तक के अपने सफर को कामयाब बनाने में योगदान देने के लिए सभी सियासी दलों के नेताओं का शुक्रिया अदा किया. गौरतलब है कि बिरला को 19 जून, 2019 को सर्वसम्मति से लोकसभा अध्यक्ष के रूप में चुना गया था. 

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संविधान सभी को अपने धर्म के मुताबिक आचरण करने का हक देता है 
बिरला ने कहा कि सांसदों को धार्मिक मुद्दों पर बोलते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनके बयान से किसी दूसरे मजहब की भावनाओं को ठेस न पहुंचे. हम सभी को पूरी निष्ठा से इस परंपरा का पालन करना चाहिए. हमारा संविधान सभी को अपने धर्म के मुताबिक आचरण करने का हक देता है.  उन्होंने कहा कि संसद संविधान के मुताबिक काम करती है. संसद में किसी भी धर्म के खिलाफ भड़काऊ टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए. इसकी गरिमा और मर्यादा को हर वक्त बनाए रखा जाना चाहिए.

चर्चा और बहस  ‘लोकतंत्र का आभूषण’
इस मौके पर बिड़ला ने कहा कि सदन में 17वीं लोकसभा में अब तक आठ सत्रों में लगभग एक हजार घंटे कामकाज हुआ है. चर्चा और बहस को ‘‘लोकतंत्र का आभूषण’’ बताते हुए बिरला ने कहा कि सांसदों को संसद में बोलते वक्त गैर जरूरी आक्रामकता और शोर-शराबे से बचना चाहिए. बिरला ने कहा, ‘‘चर्चा, बहस संसदीय लोकतंत्र का जरूरी हिस्सा है. बहस के दौरान एक-दूसरे पर तंज करना भी स्वीकार्य है, लेकिन संसद में सांसदों को बिला वजह आक्रामकता और शोर-शराबे से बचना चाहिए.

संसद का शीतकालीन सत्र नई इमारत में होगा 
सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत बन रहे नए संसद भवन के बारे में बात करते हुए बिरला ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि इस साल का शीतकालीन सत्र नई इमारत में होगा. उन्होंने कहा, ‘‘नए भवन का काम जोरों पर चल रहा है. यह आधुनिक भारत और हमारे समृद्ध इतिहास दोनों की झलक दिखाएगा. यह भारत के सभी राज्यों की संस्कृति को प्रदर्शित करेगा. 


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