Muharram 2022: कोरोना काल के बाद अक़ीदत के साथ मनाया गया यौमे आशूरा, या हुसैन के नारों से गूंजी फिजा
Muharram 2022: कोरोना महामारी के कारण पिछले दो सालों से मोहर्रम के जुलूस पर पाबंदी लगा दी गई थी, लेकिन इस बार राजधानी लखनऊ में या हुसैन की सदाओं से लखनऊ की फिजा गूंज उठी.
लखनऊ: पूरी दुनिया के साथ अज़ादारी का मरकज़ कहे जाने वाले अदब के शहर लखनऊ में आज नवासा ए रसूल इमाम हुसैन का गम अकिदतो अहतराम के साथ मनाया गया जिसमे सैकड़ो मातमी अन्जुमनो ने नोहे के साथ मातम कर के कर्बला के बहत्तर शहीद को पुरसा पेश किया.
लखनऊ में दसवी मोहर्रम यानी यौमे आशूरा के मौक़े पर जुलुस की शक्ल में अकिदात्मंदों ने मातम मजलिस का एहतमाम किया, जिसमें मुख्तलिफ़ मज़हब के लोग भी बड़ी तादात में शामिल हुए. दसवी का जुलुस इमामबाडा नाज़िम साहब से चल कर कर्बला तालकटोरा पहुच कर ख़त्म हुआ. रिवायत के मुताबिक यौमे आशूरा यानि दसवी मोहर्रम को इमाम हुसैन को उनके साथियों के साथ बेरहमी से शहीद कर दिया गया था जिसमे उनका छे माह का बेटा अली असग़र भी शामिल थे.
जुलूस में शामिल मौलना अली हुसैन कुम्मी और मुस्लिम स्कॉलर डॉक्टर सिबतैंन नूरी ने बताया की कर्बला का गम हर मज़हबो मिल्लत के लोग मनाते हैं क्योकि नवासे ऐ रसूल इमाम हुसैन ने इस्लाम और इंसानियत को बचाने की खातिर अपना पूरा परिवार राहे खुदा में पेश कर दिया था.
गौरतलब है कि लखनऊ में बड़े पैमाने पर मोहर्रम मनाया जाता है. कर्बला के शहीदों की याद में जुलूसों और मजलिसों का एहतिमाम किया जाता है. लेकिन पिछले 2 सालों से करोना महामारी के कारण धार्मिक जुलूस और भीड़भाड़ वाले कार्यक्रमों पर रोक लगी हुई थी लेकिन इस बार करोना से लोगो को राहत मिलने पर मोहर्रम के सभी जुलूस अपने परंपरागत तौर तरीके से निकाले गए और बड़ी तादाद में इमाम हुसैन से अकीदत रखने वाले लोग, बूढ़े, बच्चे, औरतें जुलूसों में शरीक रहे. इस मौके पर सुरक्षा व्यवस्था के भी प्रशासन द्वारा पुख्ता इंताज किए गए.
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