Islamic Knowledge: इस्लाम में एक दूसरे से अच्छे ताल्लुक रखने के बारे में बताया गया है. इस्लाम में नाराजगी और गुस्सा-गर्मी से मना किया गया है. इस्लाम कहता है कि आपको अपने साथियों और रिश्तेदारों से अच्छे ताल्लुकात रखने चाहिए. उनके साथ मोहब्बत से पेश आना चाहिए. अगर आपके दरमियान कोई नाराजगी हो जाए, तो तीन दिन से ज्यादा ताल्लुक मत तोड़ो.


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इस्लाम में बताया गया है कि इंसान की फितरत है कि वह अपने आस-पास के लोगों से नाराज होता है और मन मुटाव कर लेता है. इस्लाम यह भी मानता है कि आपस का झगड़ा एक दिन में खत्म नहीं होता है. इसलिए इस्लाम ने इसके लिए तीन दिन मुकर्र कर दिए हैं. पहले दिन गुस्से में कुछ ठहराव आएगा, दूसरे दिन इंसान अपने गुस्से के बारे में सोचेगा, उसके बाद तीसरे दिन वह वापस लौट आएगा. इस्लाम में यह जायज नहीं कि वह अपने करीबियों से ताल्लुक खत्म कर ले. इसलिए जरूरी है कि तीन दिन के अंदर अपने गिले शिकवे दूर कर इंसान एक दूसरे से बात करे. 


इस्लाम यह भी कहता है कि अगर आपका कोई नेक और परहेजगार साथी अंजाने में कोई गलती कर बैठता है, तो उसे नजर से न गिराओ, उसकी बातें न करो, बल्कि यह हुक्म है कि उसकी गलतियों पर पर्दा डालो. अगर वह जिना कर बैठे या चोरी कर ले, तो इस तरह के काममों के लिए इस्लाम ने सजा देने के बारे में बताया है. यह सजा कानून के हिसाब से होगी. 


इस्लाम कहता है कि अपने बारे में कोई भी बात बदगुमानी से न करो. बदगुमानी से की गई बात झूठी होती है. इससे आपसी ताल्लुकात खराब होते हैं. दूसरों के बारे में जानकारी इकट्ठी न करते फिरो, किसी के ऐब न टटोलो, न दलाली करो और न ही दूसरों की काट करने में लगो, बल्कि अल्लाह के बंदे बनो और आपस में भाईचारे के साथ रहो.


इस्लाम ने बताया है कि तुम में से सबसे बेहतर शख्स वह है, जो आपसी रंजिश और ताल्लुकात को बेहतर करने की पहल करे. आपसी रंजिश खत्म करने का सबसे सही तरीका है कि सलाम किया जाए.


नाराजगी पर हदीस
हजरत अबू अय्यूब अंसारी रजि0 कहते हैं कि अल्लाह के रसूल स0 ने फरमाया किसी मुसलमान के लिए यह जायज नहीं कि वह अपने मुसलमान भाई से तीन दिन से ज्यादा नाता तोड़े रखे. हाल यह हो कि दोनों कहीं मिलें, तो यह अपना मुंह उधर फेर ले और वह अपना मुंह इधर! इन दोनों में अच्छा और बेहतर मुसलमान वह है, जो सलाम करने में पहल करे और ताल्लुक तोड़ लेने की शैतानी पालिसी खत्म कर दे. (हदीस: बुखारी, मुस्लिम)