अहमदाबाद/भदोहीः भाजपा शासित राज्यों में स्थानों के नाम बदलने की होड़ मची है. खास निशाना उर्दू नाम वाले स्थानों पर है. सरकार इससे मुस्लिम नाम और मुगलों की पहचान देश से मिटाना चाह रही है. हालांकि, राज्य सरकारें ही नहीं केंद्र सरकार भी नाम बदलने को लेकर काफी तत्पर दिखती है. अभी हाल ही में केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान रख दिया है. इसी के तहत इलाहाबाद प्रयागराज, मुगलसराय पंडित दीन दयाल उपाध्या नगर और हबीबगंज रेलवे स्टेशन को कमलापति रेलवे स्टेशन कर दिया गया है. यूपी के लगभग सौ स्थानों के नाम बदले जा चुके हैं. अगला निशाना उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और गुजरात का शहर अहमदाबाद निशाने पर है. लखनऊ का नाम ‘लक्ष्मणपुर’ और अहमदाबाद का नाम 'कर्णावती’ रखा जा सकता है. 

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लखनऊ पहले ‘लक्ष्मण नगरी’ थीः ब्रजेश पाठक
लखनऊ का नाम ‘लखनपुर’ या ‘लक्ष्मणपुर’ करने की मांग के बीच उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने बुधवार को कहा है कि पहले यह शहर 'लक्ष्मण नगरी’ था. इससे पहले भाजपा के प्रतापगढ़ सांसद संगमलाल गुप्ता ने मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर लखनऊ का नाम बदलकर 'लखनपुर या लक्ष्मणपुर’ करने की मांग की थी. उन्होंने कहा, "18वीं शताब्दी में नवाब आसफुद्दौला ने इसका नाम बदलकर लखनऊ कर दिया था. भाजपा सांसद ने पत्र में कहा था कि भगवान राम ने भाई लक्ष्मण को यह शहर दिया था और इसे पहले लखनपुर या लक्ष्मणपुर के नाम से जाना जाता था. वहीं, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने गाजीपुर जिले का नाम महर्षि विश्वामित्र के नाम पर रखने की मांग की है. 

अहमदाबाद का नाम बदलकर 'कर्णावती’ करने की मांग 
उधर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने कहा है कि वह अहमदाबाद का नाम बदलकर 'कर्णावती’ करने की मांग को लेकर वह मुहिम शुरू करेगी. अहमदाबाद का नाम बदलकर कर्णावती करने के लिए छात्र सम्मेलन में 5,000 छात्रों द्वारा प्रस्ताव पारित किया गया था. एबीवीपी की गुजरात सचिव युति गजरे ने कहा, “हमारी मांग के लिए दबाव बनाने की जरूरत है, "यह कदम गुजरात के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल के लगभग पांच साल बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि भारतीय जनता पार्टी सरकार अहमदाबाद का नाम बदलकर 'कर्णावती’ करने को तैयार है, अगर वह कानूनी बाधाओं को दूर करती है. 


कांग्रेस और ओवैसी ने की आलोचना 
इस बीच, कांग्रेस ने दावा किया कि अहमदाबाद का नाम बदलने का मुद्दा इसलिए उठाया जा रहा है ताकि प्रश्नपत्र लीक के ज्यादा दबाव वाले मुद्दे से युवाओं का ध्यान भटकाया जा सके. वहीं, इस प्रस्ताव की असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने भी आलोचना की है. नेता दानिश कुरैशी ने कहा, "भाजपा के जादू के डिब्बे में कई ऐसे मुद्दे हैं, जो प्रासंगिक नहीं हैं, बल्कि देश और इसके लोगों को अराजकता की तरफ ले जाते हैं.


दक्षिणपंथी क्यों कर रहे हैं अहमदाबाद का नाम बदलने की मांग 
गौरतलब है कि 2017 में, अहमदाबाद को यूनेस्को द्वारा एक विश्व विरासत शहर घोषित किया गया था, जो देश का पहला शहर बन गया है. अहमदाबाद के आसपास का क्षेत्र 11वीं शताब्दी से बसा हुआ है, जब इसे अश्वल के नाम से जाना जाता था. अनिलवाड़ा (आधुनिक पाटन) के चालुक्य शासक कर्ण ने अश्वल के भील राजा के खिलाफ एक जंग में कामयाबी मिलने के बाद साबरमती नदी के तट पर कर्णावती नामक शहर की स्थापना की थी. सुल्तान अहमद शाह ने 1411 ईस्वी में कर्णावती के पास एक नए दीवार वाले शहर की नींव रखी और इसका नाम अहमदाबाद रखा था. 


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