बिहार विधानसभा अध्यक्ष चुने गए नंद किशोर यादव; जानिए उनका राजनीतिक सफर
Bihar Assembly Speaker: पटना साहिब विधानसभा इलाके से सात बार विधायक रहे नंदकिशोर यादव ने अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अवध बिहारी चौधरी के अध्यक्ष पद से हटने के बाद नामांकन दाखिल किया था.
Bihar Assembly Speaker: बीजेपी के सीनियर लीडर और विधायक नंद किशोर यादव को आज यानी 15 फरवरी को निर्विरोध बिहार विधानसभा के अध्यक्ष चुने गए हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव नए अध्यक्ष को आसन तक ले गए. नीतीश कुमार ने नंद किशोर यादव को बधाई देते हुए कहा, ‘‘आप (अध्यक्ष) एक अनुभवी नेता हैं. मैं आपको विधानसभा के अध्यक्ष चुने जाने पर बधाई देता हूं. सभी विधायकों ने आपको समर्थन दिया है. मुझे यकीन है कि आप सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को सुनेंगे.’’
पूर्व डीप्टी सीएम तेजस्वी यादव और नेता प्रतिपक्ष ने भी नंद किशोर यादव को बधाई दी है. उन्होंने कहा, ‘‘आप बहुत सीनियर नेता हैं और मुझे यकीन है कि आप निष्पक्ष रहकर विपक्ष की बात भी सुनेंगे.’’ वहीं, डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा ने भी नंद किशोर यादव को बधाई दी. चौधरी ने कहा, ‘‘आप हमारे सीनियर नेता हैं और गुरु गोविंद सिंह जी की भूमि से संबंध रखते हैं. इसके लिए हम सभी अपने केंद्रीय नेतृत्व के आभारी हैं.’’
पटना साहिब विधानसभा हैं विधायक
पटना साहिब विधानसभा इलाके से सात बार विधायक रहे नंदकिशोर यादव ने अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अवध बिहारी चौधरी के अध्यक्ष पद से हटने के बाद नामांकन दाखिल किया था. चौधरी को मंगलवार को अविश्वास प्रस्ताव के बाद पद छोड़ना पड़ा था. चौधरी के पद से हटने के बाद उपाध्यक्ष और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता महेश्वर हजारी सदन की कार्यवाही का संचालन कर रहे थे. पटना साहिब निर्वाचन इलाके का नाम उस स्थान पर मौजूद सिख गुरूद्धारा के नाम पर रखा गया है, जहां 10वें गुरु का जन्म हुआ था.
नंद किशोर यादव का राजनीतिक सफर
नंद किशोर यादव ने अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत 1978 में 1982 में पटना नगर निगम के पार्षद के तौर पर की और बाद में पटना के उप महापौर बने. यादव 1995 में पहली बार विधायक चुने गए और कई बार नीतीश कुमार सरकार में मंत्री रह चुके हैं. बिहार विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए यादव के निर्वाचन को नयी सरकार में अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और उच्च जातियों के बीच संतुलन बनाने के लिए बीजेपी की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.