नई दिल्लीः वैश्विक स्तर पर ऊर्जा की कीमतों में उछाल के साथ शुक्रवार को प्राकृतिक गैस (Naturals Gas) की कीमतों मे 40 फीसदी की रिकॉर्ड बढ़ोतरी हो गई है. इससे देश में बिजली उत्पादन, उर्वरक कारखाने और वाहनों में इस्तेमाल होने वाली गैस महंगी हो सकती है. तेल मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ की तरफ से जारी आदेश के मुताबिक, पुराने गैस क्षेत्रों से उत्पादित गैस के लिए भुगतान की जाने वाली दर को मौजूदा 6.1 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट से बढ़ाकर 8.57 डॉलर प्रति एमबीटीयू कर दिया गया है. इसी दर पर देश में उत्पादित गैस के लगभग दो तिहाई हिस्से की बिक्री की जाएगी.

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एक साल में 70 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुकी है कीमत 
अप्रैल 2019 के बाद से गैस की दरों में यह तीसरी बार वृद्धि होगी.प्राकृतिक गैस उर्वरक बनाने के साथ बिजली पैदा करने के लिए एक प्रमुख कच्चा माल के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. इसे सीएनजी में भी बदला जाता है, और पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) यानी रसोई गैस के रूप में भी इसे इस्तेमाल किया जाता है. दरों में भारी वृद्धि से सीएनजी और पीएनजी की कीमतों में बढोत्तरी होने की पूरी संभावना है, जो पहले से ही पिछले एक साल में 70 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुकी हैं.

गैस की उच्च कीमतें बढ़ा सकती है देश में मुद्रास्फीति 
गौरतलब है कि गैस की उच्च कीमतें मुद्रास्फीति को और भी बढ़ा सकती हैं, जो पिछले आठ महीनों से आरबीआई के संतोषजनक स्तर से ऊपर चल रही है. सरकार ने मूल्य निर्धारण फार्मूले की समीक्षा के लिए एक समिति का भी गठन किया है. सूत्रों ने बताया कि प्राकर्तिक गैस की कीमतों में इजाफे से दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में सीएनजी और रसोई गैस की दरों में वृद्धि होने की संभावना है. इससे बिजली पैदा करने की लागत में भी वृद्धि हो सकती है, लेकिन उपभोक्ताओं को कोई बड़ी परेशानी नहीं होगी क्योंकि गैस से पैदा होने वाली बिजली का हिस्सा बहुत कम है. इसी तरह, उर्वरक उत्पादन की लागत भी बढ़ सकती है, लेकिन सरकार की तरफ से ऊर्वरक सब्सिडी देने से दरों में वृद्धि की संभावना नहीं है. हालांकि इस फैसले से उत्पादकों की आमदनी में वृद्धि होने की संभावना है.


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