NCPCR summons Chief Secretarys: NCPR यानी राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा आयोग ने मदरसों में गैर-मुस्लिम बच्चों पर डेटा नहीं देने के लिए 11 राज्यों समेत केंद्र शासित प्रदेशों के चीफ सेक्रेटरी को तलब किया है. एनसीपीसीआर ने "कार्रवाई की कमी" को लेकर  मुख्य सचिवों को बुलाया है. 


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बता दें कि मदरसों में नामांकित हिंदू और दूसरे गैर-मुस्लिम बच्चों की पहचान करने और उन्हें स्कूलों में एडमिशन दिलाने के लिए एनसीपीसीआर ने करीब एक साल पहले ये मांग की थी.  इस मांग में कहा गया था कि मदरसों में गैर-मुस्लिम बच्चों का पढ़ना साफ तौर से संविधान के आर्टिकल 28(3) का उल्लंघन है.


NCPR ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह समेत गोवा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, मेघालय और तेलंगाना के चीफ सेक्रेटरी को बुलाया है. NCPR समन की कॉपियों के मुताबिक, चीफ सेक्रेटरी को "गैर-कार्रवाई" पर स्पष्टीकरण और मदरसों के बारे में मांगे गए विवरण के साथ आयोग के सामने व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने के लिए कहा गया है.


हरियाणा, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चीफ सेक्रेटरी को 12 जनवरी को और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, गोवा के मुख्य सचिवों को 15 जनवरी को तलब किया गया है. जबकि झारखंड के चीफ सेक्रेटरी को 16 जनवरी को और कर्नाटट, केरल के चीफ सेक्रेटरी को 17 जनवरी को बुलाया गया है. वहीं,  मध्य प्रदेश, मेघालय और तेलंगाना के चीफ सेक्रेटरी को 18 जनवरी को तलब किया गया है.


इस मांग में कहा गया था कि एजुकेशन इंस्टीट्यूट को मां-बाप की सहमति के बिना बच्चों को किसी भी धार्मिक इंस्ट्र्क्शन में हिस्सा लेने से रोकता है.आयोग ने आगे कहा था कि संस्थान के रूप में मदरसे मुख्य रूप से बच्चों को धार्मिक एजुकेशन देने के लिए जिम्मेदार हैं. और, यह भी कहा कि पता चला है कि सरकार द्वारा वित्त पोषित या मान्यता प्राप्त मदरसे मजहबी एजुकेशन के साथ-साथ कुछ हद तक औपचारिक शिक्षा भी दे रहे हैं.