नई दिल्लीः नागरिकता संशोधन कानून के तहत सरकार ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में रहने वाले नॉन-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया था. इस कानून के बनने के बाद अफगानिस्तान और पाकिस्तान से कुछ हिंदू, ईसाई और सिख अल्पसंख्यक भारत आए हैं, लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी जितने लोग बाहर से भारत आए हैं, उससे कई गुणा ज्यादा भारतीय देश छोड़कर दूसरे देशों की नागरिकता ग्रहण कर चुके हैं. 

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साल 2019 से 2021 के बीच का यह आंकड़ा 
सरकार ने मंगलवार को लोकसभा को जानकारी दी है कि गुजिश्ता तीन सालों में देश के लगभग 3,92,643 नागरिकों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी है. अपने देश की नागरिकता छोड़ने वालों में सबसे ज्यादा भारतीयों को अमेरिका ने अपने यहां शरण दी है. यह जानकारी लोकसभा में सांसद हाजी फजलुर रहमान के सवाल के लिखित जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय द्वारा ने सदन को दी है. सदस्य ने साल 2019 से चालू वर्ष के दौरान नागरिकता छोड़ने वाले भारतीय नागरिकों की सूचना मांगी थी.   

सबसे ज्यादा लोगों ने ली अमेरिका की नागरिकता 
राय द्वारा निचले सदन में पेश आंकड़ों के मुताबिक, साल 2019 से 2021 के दौरान नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की तादाद 3,92,643 थी. इसमें वर्ष 2019 में 1,44,017 लोगों ने नागरिकता छोड़ी, जबकि 2020 में 85,256 भारतीयों और साल 2021 में 1,63,370 नागरिकों अपना देश और यहां की नागरिकता छोड़ दी है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2019 से 2021 के बीच 1,70,795 भारतीयों को अमेरिका ने अपने देश में नागरिकता दी है. इसमें साल 2019 में 61,683 भारतीयों, साल 2020 में 30,828 भारतीयों और साल 2021 में 78,284 भारतीयों को अमेरिका ने नागरिकता दी है.

अमेरिका के अलावा इन देशों का भी किया रुख 
भारत छोड़कर अमेरिका में बसने के अलावा कुछ और देश हैं, जहां भारतीय नागरिकों ने अपने देश की नागरिकता का त्यागकता का त्याग कर वहां की नागरिकता स्वीकार कर ली है. इन देशों की बात करें तो अस्ट्रेलिया में गुजिश्ता तीन सालों में 58,391, कनाडा में 64,071 , ब्रिटेन में 35,435, जर्मनी में 6,690 , इटली में 12,131, न्यूजीलैंड में 8,882 और पाकिस्तान में 48 भारतीयों नागरिकों ने नागरिकता स्वीकार की है. हालांकि सरकार ने ऐसा कोई कारण नहीं बताया है कि इतने भारी संख्या में लोगों ने अपना देश क्यों छोड़ा है. बेहतर जिंदगी और रोजगार की तलाश में लोग दुनिया के विकसित देशों का रुख करते हैं, लेकिन यह हैरतअंगेज हैं कि 48 भारतीयों ने देश छोड़कर पाकिस्तान की नागरिकता क्यों स्वीकार की है! 


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