Delhi News: एनआईए यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने बुधवार को देश के छह अलग-अलग राज्यों में पीएफआई के संदिग्धों के खिलाफ छापेमारी की. ये छापेमारी बिहार के पटना में हुए पिछले साल पीएम मोदी के रैली के दौरान गड़बड़ी से जुड़ा मामले में हुई है.


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NIA ने संदिग्धों के खिलाफ कई इनपुट के जरिए उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दिल्ली-एनसीआर में एक दर्जन से ज्यादा जगहों पर सुबह से तलाशी चल रही है. तलाशी के दौरान ANI ने कट्टरपंथी ग्रुप से जुड़ी कई आपत्तिजनक लेख और दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं. इन दस्तावेजों में देश के युवाओं को भ्रमित करने के लिए नेरेटिव का जिक्र था. जो देश के सीमा के बाहर से ऑपरेट किया जा रहा था, ताकि मुल्क के खिलाफ वॉर किया जा सके.  


NIA ने पीएफआई के खतरनाक एजेंडे का पर्दाफाश किया है.जो देश के युवाओं को आतंकी ट्रेनिंग देने में लगा हुआ था. एनआईए ने कहा, "आरोपी पीएफआई के गैरकानूनी और हिंसक एजेंडे और गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे थे. हिंसक आतंकवादी कामों को अंजाम देने के लिए इस मामले में पीएफआई सदस्यों और को विदेशों से अवैध धन मुहैया करा रहे थे".


 एएनआई ने इस मामले में दो लोगों  को गिरफ्तार किया है और पीएफआई से जुड़े कई आपत्तिजनक लेख और दस्तावेज भी जब्त किए हैं. गौरतलब है कि यह मामला 12 जुलाई, 2022 को बिहार के पटना जिले के फुलवारी शरीफ पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था. जिसके बाद एनआईए ने इस मामले में दोबारा 22 जुलाई, 2022 को फिर से FIR दर्ज की. जांच के दौरान एएनाई ने अतहर परवेज, मोहम्मद जलालुद्दीन खान, नूरुद्दीन जांगी उर्फ ​​वकील नूरुद्दीन और अरमान मलिक उर्फ ​​इम्तियाज अनवर को इस मामले में गिरफ्तार किया था.


आतंकवाद रोधी एजेंसी ने कहा, "आरोपी ने धन भी इकट्ठा किया, सदस्यों की भर्ती की, प्रशिक्षण आयोजित किया और अपने सदस्यों को भारत में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया".


आपको बता दें कि पिछले साल सितंबर में, गृह मंत्रालय ( Home Minister) ने पीएफआई और उसके सहयोगी संगठन पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है.