`अब किसी से भी शिकायत न रही`, निदा फाजली के शेर
Nida Fazli Poetry: निदा फाजली ने बॉलीवुड को कई गाने दिए. आज हम पेश कर रहे हैं उनके कुछ बेहतरीन शेर.
Nida Fazli Poetry: निदा फाजली उर्दू के मशहूर शायर थे. वह अदीब, गीतकार और संवाद लेखक और पत्रकार थे. उन्होंने उर्दू को एक अलग लब-ओ-लहजा दिया कि और शैली दी कि उर्दू अदब के लोगों ने उससे पहले उसे इस्तेमाल नहीं किया. निदा फ़ाज़ली 12 अक्तूबर 1938 ई. को दिल्ली में पैदा हुए. उनका असल नाम मुक़तिदा हसन था. उनके वालिद मुर्तज़ा हसन शायर थे.
अब किसी से भी शिकायत न रही
जाने किस किस से गिला था पहले
हर तरफ़ हर जगह बे-शुमार आदमी
फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी
घी मिस्री भी भेज कभी अख़बारों में
कई दिनों से चाय है कड़वी या अल्लाह
मिरे बदन में खुले जंगलों की मिट्टी है
मुझे सँभाल के रखना बिखर न जाऊँ में
दिन सलीक़े से उगा रात ठिकाने से रही
दोस्ती अपनी भी कुछ रोज़ ज़माने से रही
किताबें यूँ तो बहुत सी हैं मेरे बारे में
कभी अकेले में ख़ुद को भी पढ़ लिया जाए
दूर के चाँद को ढूँडो न किसी आँचल में
ये उजाला नहीं आँगन में समाने वाला
दुनिया न जीत पाओ तो हारो न आप को
थोड़ी बहुत तो ज़ेहन में नाराज़गी रहे
इस अँधेरे में तो ठोकर ही उजाला देगी
रात जंगल में कोई शम्अ जलाने से रही
वही हमेशा का आलम है क्या किया जाए
जहाँ से देखिए कुछ कम है क्या किया जाए
बाग़ में जाने के आदाब हुआ करते हैं
किसी तितली को न फूलों से उड़ाया जाए
मुट्ठी भर लोगों के हाथों में लाखों की तक़दीरें हैं
जुदा जुदा हैं धर्म इलाक़े एक सी लेकिन ज़ंजीरें हैं