GST on Subsidised Office Canteen: प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले लोगों के लिए एक अच्छी ख़बर है. अगर किसी प्राइवेट कंपनी में स्टाफ के लिए सब्सिडी वाली कैंटीन चलाई जाती है, तो उसमें मिलने वाले खाने पर लगने वाला जीएसटी (GST) स्टाफ से नहीं लिया जाएगा. यह फैसला अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग (AAR) की गुजरात बेंच ने दिया है. बेंच ने अपने फैसले में कहा कि इम्प्लॉयर/मालिक कैंटीन में मिलने वाले सब्सिडी वाले खाने पर स्टाफ से GST ना वसूलें. इस फैसले से प्राइवेट कंपनी के ऑफिस की कैंटीन में स्टाफ के लिए खाना सस्ता हो सकता है.


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Zydus Lifesciences ने किया था सवाल


ज़ायडस लाइफसाइंसेस फैक्ट्रीस एक्ट,1948 (Factories Act,1948) के तहत रजिस्टर्ड एक फार्मास्यूटिकल कंपनी है. तो ज़ाइडस के लिए ज़रूरी है कि यह अपने स्टाफ को कैंटीन की सहूलियत मुहैया कराए. ज़ाइडस ने कैंटीन सर्विस प्रोवाइडर के साथ समझौता किया जिसके तहत यह स्टाफ की तरफ से कैंटीन सर्विस प्रोवाइडर को पूरा पैसा दे देती है और पहले से तय रकम का हिस्सा स्टाफ से वसूलती है, जबकि बाकी की रकम कंपनी ख़ुद अदा करती है.


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ज़ायडस कंपनी ने अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग (AAR) की गुजरात बेंच में अर्ज़ी लगाई थी जिसमें यह पूछा गया था कि क्या उसके स्टाफ की सैलरी से काटी गई रकम पर GST लगेगा, जो फैक्टरी या कॉरपोरेट ऑफिस में खाने की सहूलियत लेते हैं ? इसपर बेंच ने कहा कि, 'एप्लिकेंट सब्सिडी वाली रकम उन इंप्लोईज़ से लेता है, जो फैक्टरी या कॉरपोरेट ऑफिस में खाने की सहूलियत लेते हैं. इसे GST कानून, 2017 के प्रावधान के तहत सप्लाई नहीं माना जाएगा.' एप्लिकेंट समझौते को पूरा करने के लिए सिर्फ एक मध्यस्थ का रोल निभा रहा है और असल में इंप्लॉयर तथा स्टाफ के बीच कोई सप्लाई नहीं हुई. इसलिए स्टाफ को सब्सिडी वाले खाने पर कंपनी को GST अदा नहीं करना होगा.


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