Nuh News: नूंह में हुई हिंसा के बाद प्रशासन ने एक्शन लिया और कई मकान तोड़े गए. इस पर लगातार सवाल उठ रहे हैं, यहां तक कि कोर्ट ने भी इसको लेकर पुलिस प्रशासन से सवाल किए थे. जिनके घर तोड़े गए उनका कहना है कि उन्हें पहले से कोई नोटिस नहीं दिया गया था. जोकि ऐसी कार्रवाई करने से पहले जरूरी होता है. लोगों का कहना है कि उनकी जमीनें पूरी तरह से लीगल है, लेकिन फिर भी उनके खिलाफ एक्शन लिया गया.


800 से ज्यादा बिल्डिंग जमींदोज


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आपको जानकारी के लिए बता दें नूंह प्रशासन ने गुरुवार को प्रोपर्टी तोड़ने की कार्रवाई शुरू की थी. ये ड्राइव 4 दिन चली जिसमें 800 से ज्यादा बिल्डिंग्स को तोड़ा गया. जिसके बाद हाई कोर्ट ने एक नोटिस जारी करते हुए रोक लगाई थी और पुलिस की आगे की कार्रवाई का प्लान मांगा था.


कोर्ट ने लगाई रोक


सरकार की इस कार्रवाई पर कोर्ट ने रोक लगा दी थी. एचटी की एक रिपोर्ट के अनुसार इस मामले को लेकर शहनाज अब्दुल हलीम, जिनकी दुकानों को नलहार में तोड़ा गया, उनका कहना है कि टीम ने उनके माली हक को दिखाने के लिए  एक कागज की भी डिमांड नहीं की और कार्रवाई करना शुरू कर दी. उन्होंने आगे कहा- “हमारा पहले से ही अदालत में भूमि विवाद का मामला चल रहा है जिस पर अदालत ने यथास्थिति का आदेश दिया है. हमारे पास यह साबित करने के लिए सभी दस्तावेज हैं कि ये हमारी पैतृक संपत्ति हैं. हमारे द्वारा कोई अवैध निर्माण नहीं किया गया.”


कमल सिंह जो पिछले आठ सालों से एक केमिस्ट की दुकान चला रहे हैं. वह कहते हैं कि अधिकारियों की टीम आई और उनकी दुकान पर बुलडोजर चलाना शुरू कर दिया. मुझे दवाईयां इकट्ठा करने तक का मौका नहीं दिया गया जिनकी कीमत लाखों रुपये है. अधिकारियों को हमें कम से कम कुछ वक्त देना चाहिए था, ताकि हम अपना जरूरी समान हटा सकते.


25 से ज्यादा दुकानें तोड़ी गईं


मलहार में 25 से ज्यादा दुकानों  पर प्रशासन ने एक्शन लिया है. मोहम्मद शमीम जो चाय बेचने का काम करते हैं. वह कहते  हैं- “मेरे बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं और अच्छा स्कोर कर रहे हैं. मैं और मेरी पत्नी उन्हें अच्छी शिक्षा और उचित भोजन उपलब्ध कराने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे. हमारी दुकान को दोनों पक्षों [पुलिस और दंगाइयों] ने क्षतिग्रस्त कर दिया. हिंसा में हमारी कोई भूमिका नहीं थी, फिर भी, हम ही पीड़ित हैं.”


होटल सहारा के मालिक मोहम्मद आकिल


होटल सहारा के मालिक मोहम्मद आकिल कहते हैं कि उनसे प्रशासन ने एक भी दस्तावेज की मांग नहीं की. सरकार हमें इसलिए टारगेट कर रही है क्योंकि जिस इलाके में दंगे हुए हैं उसमें हमारी भी जमीन है. कोई भी हमारे होटल में आकर खाना खा सकता है. अगर कोई पत्थर फेंकता है तो हम उसके लिए कैसे जिम्मेदार हो सकते हैं. 


वहीं बदकली चौक में जूस बेचने वाले अब्दुल रहमान कहते हैं कि उनकी दुकान से सभी खाने का समान चोरी कर लिया गया. उन्होंने कहा- मैंने पिछले सात सालों में 2 लाख का इन्वेस्टमेंट किया और अब 20 हजार रुपये महीना कमाता था. अब मैं पहले स्थान पर वापस आ गया हूं. मेरे पास न पैसा है, न दुकान और न ही कोई आय,''


नूंह के डिप्टी कमिश्नर ने क्या कहा?


इस एक्शन को लेकर नूंह के डिप्टी कमिश्नर धीरेंद्र ने कहा- “हम ऐसे घरों, दुकानों और अन्य प्रतिष्ठानों की पहचान कर रहे हैं जो अतिक्रमित भूमि पर बने हैं या अवैध रूप से निर्माण किए गए हैं. हमने किसी को निशाना नहीं बनाया है और यह सरकारी भूमि को मुक्त कराने और अवैध निर्माणों पर नजर रखने के लिए एक अभियान है.