Independence Day: एक ऐसी मुस्लिम महिला योद्धा जिसके नाम से भी कांपते थे अंग्रेज़
Independence Day: आजादी के अमृत महोत्सव पर हम आपको एक ऐसी बहादुर मुस्लिम महिला के बारे में बताने वाले हैं. जिन्होंने भारत की आजादी के लिए महिलाओं की फौज खड़ी कर दी, और देश को अमर करने के लिए शहीद हो गईं.
Independence Day: भारत को आजाद कराने में ना जाने कितने लोगों ने कुर्बानियां दी. आपको बता दें इसमें कई महिलाएं भी शामिल थीं. आज हम आपको ऐसी ही एक महिला के बारे में बताने वाले हैं. जिसने देश को आजाद कराने की खातिर महिलाओं की एक फौज खड़ी कर दी. हम बात करेंगे अजीजन के बारे में. अजीजन पेशे से एक नाचने वाली थीं, जिनका जन्म सन 1832 में लखनऊ में हुआ था.
उमराव जान के साथ नाचने का काम
अजीजन कानपुर आईं तो हालातों के कारण उन्हें मशहूर तवायफ़ उमराव जान अदा के साथ नाचने गाने काम करना पड़ा. लेकिन इस दौरान उनकी मुलाकात कई स्वतंत्रता सेनानियों से हुई. जिसके बाद उनकी जिंदगी में काफी बदलाव आया और देश प्रेम का जज्बा जाग उठा.
हथियार चलाने की ली ट्रेनिंग
नाना साहब के आह्वान पर अजीजन अंग्रेज़ों से टक्कर देने के लिए तैयार हो गईं. अजीजन ने हथियार चलाने सीखे जिसके बाद उन्होंने अंग्रेज़ों से टक्कर लेने के लिए स्त्रियों की एक फौज तैयार की. इसके साथ अजीजन स्वतंत्रता सेनानियों को अंग्रेजों की गुप्त पहुंचाने का भी का किया करते थीं.
घोड़े पर सवार अंग्रेजों से किया युद्ध
ब्रिटिश इतिहासकार सर जार्ज ट्रेवेलियन लिखते हैं- सैनिक वेशभूषा में घोड़े पर सवार, अनेक तमगे लगाए और हाथ में पिस्तौल लिए अजीजन बिजली की तरह अंग्रेज़ सैनिकों को रौंदती चली जाती थी. उसके साथ महिलाओं की टुकड़ी घूमा करती थी. अजीजन वह महिला थी जिसने अंग्रेजों को खूब धूल चटाई. हालांकि एक दिन अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. जिसके बाद अंग्रेजों ने उनके सामने शर्त रखी और उनकी जान बख्शने की बात कही.
मौत को कुछ यूं सीने से लगाया
अंग्रेज़ी कमाण्डर सर हेनरी हेवलाक ने अजीजन से कहा कि अगर वह क्रांतिकारी अजीम उल्लाह ख़ां का बता देंगी तो वह उनकी जान बख्श दी जाएगा. लेकिन अजीजन ने खां का पता बताने की बजाय मृत्यु को स्वीकार करना पसंद किया.अजीजन ने मौत को बड़े आराम से गले लगाया. मरते वक्त उनकी जुबां पर एक ही बात थी- 'हिन्दुस्तान अमर रहे'.
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