AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को कहा कि ‘वन नेशन, वन इलेक्श’ का कांसेप्ट देश में कई पार्टियों के संसदीय लोकतंत्र के लिए नुकसानदेह होगा. ऐसा लगता है कि इस पर सोचने के लिए कमेटी को बनाया जाना बस एक रस्म है. केंद्र सरकार ने एक साथ इलेक्शन कराने के इम्कानात तलाशने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की सदारत में एक कमेटी बनाई है. 


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पार्टियों के लिए होगा नुकसानदेह


ओवैसी ने ‘एक्स’ (पहले ट्विटर) पर पोस्ट किया, ‘‘यह उस कमेटी को जवाइन कराने की जानकारी है जो एक राष्ट्र, एक इलेक्शन पर गौर करेगी. यह साफ है कि यह बस रस्म है और सरकार पहले ही इस सिम्त में आगे बढ़ने का फैसला ले चुकी है. एक राष्ट्र, एक इलेक्शन कई पार्टियों के संसदीय लोकतंत्र के लिए नुकसानदेह होगा.’’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आने वाले विधानसभा इलेक्शन की वजह से LPG के दाम घटाने पड़े और वह एक ऐसा मौका चाहते हैं जहां अगर वह इलेक्शन जीत जाएं तो वह बिना किसी जवाबदेही के अगले पांच साल ‘अवाम के खिलाफ’ पालिसियों के साथ निकाल दें.


राष्ट्रपति की पोस्ट घटा दी


उन्होंने अपने पोस्ट में कहा, ‘‘मोदी सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति को एक सरकारी कमेटी का अगुआकार बना कर राष्ट्रपति के हाई पोस्ट की हैसियत कम कर दी है. राज्यसभा में अपोजिशन के पूर्व नेता को इसमें क्यों शामिल किया गया है?’’ उनके मुताबिक कमेटी के दूसरे मेंबर का साफ तौर पर सरकार सपोर्टेड नजरिया है, जो अवामी तौर से दिये गये बयानों से साफ है. ओवैसी ने कहा कि ऐसे किसी प्रपोजल को लागू करने के लिए भारत के संविधान के कम से कम पांच अनुच्छेदों और कई कानूनों को रिवाइज्ड करना पड़ेगा. उन्होंने दावा किया कि प्रपोजल अपने आप में ही संविधान की मूल भावना और संघवाद के नेचर के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि कमेटी की काम की जगह “वोटर्स की मर्जी के खिलाफ है और यह अवाम की आवाज को शिकस्त देगा.”


कांग्रेस सदर ने की आलोचना


कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को एक राष्ट्र एक चुनाव की जांच के लिए एक पैनल के बनाए जाने को लेकर भाजपा सरकार पर तनकीद की और कहा कि बरसरे इक्तदार सरकार लोकतांत्रिक भारत को धीरे-धीरे तानाशाही में बदलना चाहती है.