नई दिल्लीः कोविड और लॉकडाउन के दौरान जमकर कमाई करने वाली आईटी कंपिनियां भी अब आर्थिक मंदी की चपेट में आ गई है. टेक कंपनियों में बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी की जा रही है. अमेरिका और यूरोप से लेकर दुनिया के सभी देशों में इसका असर महसूस किया जा रहा है. आईटी पेशवेर इससे सकते में आ गए हैं. इसी बीच आईटी कपंनियों ने कर्मचारियों की छंटनी पर अपनी सफाई दी है, और इसके लिए कई कारणों को जिम्मेदार ठहराया है. कंपनियों ने कहा है कि ओवर-हायरिंग, अनिश्चित ग्लोबल मैक्रोइकॉनॉमिक पस्थितियां और कोविड-19 महामारी इसके लिए जिम्मेदार है. 

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मार्क जुकरबर्ग जैसे बड़े दिग्गज आकलन करने में हुए फेल 
फेसबुक की मदर कंपनी मेटा ने हाल ही में 11 हजार लोगों को नौकरी निकाला है. इसके संस्थापक और सीईओ मार्क जुकरबर्ग इस मसले पर कहते हैं, "कोविड की शुरूआत में, दुनिया तेजी से ऑनलाइन हो रही थी. ई-कॉमर्स में उछाल ने कंपनियों के राजस्व में इजाफा कर दिया था. कई लोगों ने भविष्यवाणी की कि यह एक स्थाई वृद्धि होगी जो महामारी के खत्म  होने के बाद भी जारी रहेगी. इसलिए मैंने विदेशों में अपने काम में निवेश बढ़ाने का फैसला किया था, लेकिन दुर्भाग्य से, यह मेरी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सका. न सिर्फ ऑनलाइन कॉमर्स पुराने जैसे हालात में वापस पहुंच गया, बल्कि मैक्रोइकॉनॉमिक मंदी बढ़ गई. कड़े प्रतिस्पर्धा और विज्ञापनों के नुकसान की वजह से हमारा राजस्व बहुत कम हो गया था. मैं गलत था, और मैं इसकी जिम्मेदारी लेता हूं.’’ 

गूगल में इंसानों की जगह लेगा रोबोट 
मंदी की वजह से फेसबुक के अलावा दिग्गज आईटी कंपनी गूगल में भी लगभग 12 हजार कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. अल्फाबेट और गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई इस छंटनी को लेकर कहते हैं, "पिछले दो सालों में हमने आईटी उद्यौग में नाटकीय वृद्धि देखी है. उस ग्रोथ के हिसाब से हमने अलग तरह की आर्थिक वास्तविकता के लिए हायरिंग की है. मैं अपने मिशन की ताकत, हमारे उत्पादों और सेवाओं के मूल्य और एआई में शुरूआती निवेश की बदौलत भविषय में बड़े अवसर के बारे में आश्वस्त हूं. इसे पूरी तरह से हासिल करने के लिए, हमें कठिन चुनाव करने होंगे.’’ यहां सुंदर पिचाई का इशारा एआई तकनीक की तरफ है. यानी गूगल में इंसानों की जगह अब आटिफिशियल इंटेलिजेंस ले रही है. इससे बड़े पैमाने पर लोगों की और भी नौकरियों जाने का खतरा है. 

माइक्रोसॉफ्ट ने खर्च कम करने के लिए की छंटनी 
माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी ने भी लगभग 10 हजार कर्मचारियों को काम से बाहर कर दिया है. कंपनी के प्रमुख और सीईओ सत्या नडेला कहते हैं, "महामारी के दौरान हमने देखा कि ग्राहकों ने डिजिटल खरीदारी पर खूब जोर दिया, लेकिन अब वह अपने डिजिटल खर्च को ऑप्टिमाइज करते हुए नजर आ रहे हैं. वह पैसे सोच-समझकर खर्च कर रहे हैं. हर उद्योग और संगठन पैसे खर्च करने में सावधानी बरत रहे हैं, क्योंकि दुनिया के कुछ हिस्से आर्थिक मंदी की चपेट में आ चुके हैं. दूसरे हिस्से में  मंदी की आशंका है. ऐसे में हर कोई खर्च कम करने पर यकीन कर रहा है." 

अमेजन ने खत्म किए कई विभाग और पद 
इस मंदी के दौरान अमेजॉन ने लगभग 19 हजार कर्मचारियों की छंटनी कर दी है. कंपनी के सीईओ एंडी जेसी कहते हैं, "हम एक असामान्य और अनिश्चित मैक्रोइकॉनॉमिक माहौल का सामना कर रहे हैं. पिछले कुछ महीनों से हम इसकी समीक्षा कर रहे हैं कि हमारे ग्राहकों और कारोबार के लिए सबसे ज्यादा क्या मायने रखता है, समीक्षाओं के बाद, हमने कुछ लोगों और कार्यक्रमों को आपस में समेकित करने का फैसला लिया है. अनिश्चित अर्थव्यवस्था को देखते हुए इस साल की समीक्षा अधिक कठिन रही है. हमने पिछले कई वर्षों में तेजी से हायरिंग भी की थी.’’ 

राजस्व कम होने से सेल्सफोर्स ने 7 हजार लोगों की छंटनी की 
सेल्सफोर्स ने हाल ही में 7 हजार कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया है. कंपनी के सीईओ मार्क बेनिओफ ने कहा, "महामारी के दौरान जैसे-जैसे हमारे काम और राजस्व में इजाफा हुआ, हमने बहुत से लोगों को काम पर रख लिया था, लेकिन अब उस हिसाब से राजस्व और काम दोनां नहीं है. इस वजह से कर्मचारियों की संख्या सीमित करनी पड़ी है.’’ उन्होंने कहा,  "मैं इसकी जिम्मेदारी लेता हूं."   

आईबीएम ने आय और लागत के संतुलन के लिए हटाए 4 हजार कर्मचारी 
आईबीएम ने भी लगभग 4 हजार लोगों की छंटनी की है. कंपनी के मुख्य वित्तीय अफसर जेम्स कवानुघ कहते हैं, "हमने पिछले कुछ सालों में कई महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो बनाए थे, जिसकी वजह से हमारे कारोबार की लागत बढ़ गई थी. हमें उम्मीद है कि हम इस साल की शुरूआत में ही लागतों की भरपाई कर लेंगे. इसका सीधा मतलब है कि कंपनी ने अपने बढ़े हुए खर्चों को कम करने के लिए नौकरियों में कटौती की हैं. " 

स्पोटिफाई में 600 लोगों की गई नौकरी  
600 कर्मचारियों की छंटनी करने वाली कंपनी स्पोटिफाई के सीईओ डैनियल ने कहा, "बाजार के दूसरे लीडर्स की तरह, मुझे भी महामारी से मजबूत प्रतिक्रिया की आशा थी और विश्वास था कि हमारा व्यापक वैश्विक व्यापार फैलेगा, लेकिन मंदी के प्रभाव ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया. मैं अपनी राजस्व वृद्धि से पहले निवेश करने में बहुत महत्वाकांक्षी था, लेकिन मनोकूल राजस्व नहीं मिलने पर मैंने कुछ कठोर फैसले लिए हैं. " 
 


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