Parliament Security breach: दिल्ली हाई कोर्ट से संसद सुरक्षा उल्लंघन मामले की मुल्जिम नीलम आजाद को बड़ा झटका लगा है. अदालत ने दिल्ली पुलिस की हिरासत से तत्काल रिहाई की मांग वाली बंदी प्रत्यक्षीकरण पिटीशन खारिज कर दी है. वहीं, दिल्ली पुलिस के वकील ने पिटीशन की विचारणीयता का मुखालफत करते हुए कहा, "प्रार्थना सुनवाई के काबिल नहीं है, जबकि यह मुद्दा पहले से ही ट्रायल कोर्ट के सामने लंबित है."


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

आजाद ने तर्क देते हुए कहा, "हम रिमांड के हु्क्म को चुनौती दे रहे हैं. मुझे अपने वकील से बात करने की इजाजत नहीं हैं. उन्होंने मुझे वकील से बात करने से रोका. यह एक स्वीकृत तथ्य है, यह स्थिति रिपोर्ट में है."
जबकि इसके जवाब में जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस मनोज जैन की खंडपीठ ने कहा,"वर्तमान पिटीशन में मांगी गई राहत के लिए, पिटीशनर ने पहले ही ट्रायल कोर्ट के सामने एक आवेदन दायर कर दिया है, याचिका विचार करने के लायक नहीं है, इसलिए खारिज कर दी गई है."


बता दें कि दिल्ली पुलिस ने 13 दिसंबर, 2023 के संसद सुरक्षा उल्लंघन मामले में छह मुल्जिमों  को गिरफ्तार किया था. जिसमें से नीलम आज़ाद भी शामिल हैं. इसके अलावा पांच मुल्जिम  मनोरंजन डी., सागर शर्मा, अमोल धनराज शिंदे, ललित झा और महेश कुमावत हैं, जो 5 जनवरी तक पुलिस हिरासत में हैं.
 
पिटीशन में क्या कहा गया है?

पिटीशन में कहा गया है, "पिटीशनर ने इस बात पर जोर देने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 22(1) में 'पसंद' और 'बचाव' शब्दों पर भरोसा किया है कि यह एक स्वीकृत तथ्य है कि राज्य ने उसे कानूनी प्रतिनिधित्व करने से रोका है. उसकी पसंद और जब उसे अदालत के सामने पेश किया गया, हालांकि एलडी कोर्ट द्वारा वास्तव में एक वकील नियुक्त किया गया था, उसे डीएलएसए से सबसे उपयुक्त वकील चुनने का अवसर नहीं दिया गया था.''


पिटीशन में आगे कहा गया है, "इस प्रकार, भारत के संविधान के अनुच्छेद 22(1) के तहत गारंटीकृत अधिकार का घोर उल्लंघन किया गया, जिससे रिमांड हुक्म तारीख 21.12.2023 को गैरकानूनी बना दिया गया." वहीं, दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया है कि मुल्जिम "कट्टर अपराधी" हैं, जो लगातार अपने बयान बदल रहे हैं.


इस धारा के तहत हुआ है मामला दर्ज
पुलिस ने सभी मुल्जिमों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) एक्ट के तहत FIR की है और सिक्योरिटी चूक के मुद्दे की भी जांच कर रही है. जबकि दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया था कि उन्होंने सभी मुल्जिमों के खिलाफ आरोपों में UAPA की धारा 16 (आतंकवाद) और 18 (आतंकवाद की साजिश) शामिल की है.


कोर्ट ने इस पर लगाई रोक 
वहीं, हाई कोर्ट ने 22 दिसंबर, 2023 को ट्रायल कोर्ट के उस हुक्म पर रोक लगा दी, जिसमें दिल्ली पुलिस को सुनवाई की अगली तारीख, यानी 4 जनवरी तक आज़ाद को FIR की कॉपी देने का निर्देश दिया गया था.