नई दिल्लीः त्वचा पर चकत्ते और बुखार आना मंकीपॉक्स और चिकनपॉक्स दोनों के सामान्य लक्षणों में से एक है. इस समान लक्षणों की वजह से लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है. कुछ मामलों में मंकीपॉक्स के दो संदिग्ध मामले चिकनपॉक्स के निकले हैं. हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि मरीजों में दोनों वायरल रोगों के लक्षणों के प्रकट होने के तरीके में फर्क है. उल्लेखनीय है कि भारत में अब तक मंकीपॉक्स के चार मामले सामने आए हैं. इनमें से तीन केरल से और एक मामला दिल्ली से आया है. लेकिन अभी चिकनपॉक्स का भी सीजन चल रहा है, इसलिए मरीज भ्रमित हो रहे हैं. 
पिछले हफ्ते दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में बुखार और घावों की समस्या के साथ भर्ती किए गए मंकीपॉक्स के एक संदिग्ध मरीज में इस संक्रमण की तस्दीक नहीं हुई, बल्कि उसमें चिकनपॉक्स होने की पुष्टि की गई. इसी तरह, बेंगलुरु गए इथियोपिया के एक नागरिक में कुछ लक्षण दिखने के बाद जांच में चिकनपॉक्स पाया गया. 

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इस वजह से लोग हो रहे हैं भ्रम के शिकार 
मंकीपॉक्स एक जानवरों से इंसान में फैलने वाली बीमारी है, जिसमें चेचक के रोगियों में अतीत में देखे गए लक्षणों के समान लक्षण उभर रहे हैं, लेकिन यह चिकित्सकीय रूप से कम गंभीर है. मेदांता हॉस्पिटल में डर्मेटोलॉजी के डॉ. रमनजीत सिंह कहते हैं, ’’बरसात के मौसम में, लोगों में वायरल संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है. और इस दौरान चिकनपॉक्स के मामले बड़े पैमाने पर देखे जाते हैं. इसमें चकत्ते और मतली जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं. इस स्थिति के कारण, कुछ रोगी भ्रमित हो रहे हैं और चिकनपॉक्स को मंकीपॉक्स समझ रहे हैं.’’  

मंकीपॉक्स के लक्षण 
डॉ. रमनजीत सिंह ने बताया, ’’मंकीपॉक्स आमतौर पर बुखार, अस्वस्थता, सिरदर्द, कभी-कभी गले में खराश और खांसी, और लिम्फैडेनोपैथ (लिम्फ नोड्स में सूजन) से शुरू होता है और ये सभी लक्षण त्वचा के घावों, चकत्ते और अन्य समस्याएं शुरू होने के  चार दिन पहले दिखाई देते हैं. ये मुख्य रूप से हाथ और आंखों से शुरू होते हैं और पूरे जिस्म में फैलते हैं.’’ विशेषज्ञ कहते हैं, किसी भी संदेह को दूर करने के लिए डॉक्टर से परामर्श करना हमेशा बेहतर होता है.

इन पांच लक्षणों से करें पहचान 
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के मेडिसिन विभाग के डॉ. सतीश कौल ने मंकीपॉक्स और चिकनपॉक्स के बीच ये पांच कुछ बड़े अंतर बताए हैं, जिससे दोनों में फर्क किया जा सकता है; 
मंकीपॉक्स में घाव चेचक से बड़े होते हैं. 


मंकीपॉक्स में हथेलियों और तलवों पर घाव दिखाई देते हैं.
चेचक में घाव सात से आठ दिनों के बाद अपने आप सीमित हो जाते हैं, लेकिन मंकीपॉक्स में ऐसा नहीं होता है.
चेचक में घाव में खुजली महसूस होती है. मंकीपॉक्स के घाव में खुजली नहीं होती.
मंकीपॉक्स में बुखार की अवधि लंबी होती है, और ऐसे रोगी में ‘लिम्फ नोड्स’ बढ़े हुए होते हैं.

मंकीपॉक्स के इलाज को लेकर क्या कहते हैं डॉक्टर 
बत्रा अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. एस सी एल गुप्ता कहते हैं, ‘‘फिलहाल मंकीपॉक्स भारत में आरंभिक चरण में है. हमारे पास इसका कोई उचित इलाज नहीं है. हम मरीजों के इलाज के लिए सिर्फ पृथक-वास का तरीका अपना रहे हैं, और संदिग्ध मरीज को उसके लक्षणों के मुताबिक इलाज कर रहे हैं. गले में इंफेक्शन होने पर हम जेनेरिक दवाओं का ही इस्तेमाल करते हैं.’’ 


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