PFI पर पांच साल का लगा बैन, NIA के छापेमारी के बाद हुई कार्रवाई
Ban on PFI: NIA द्वारा चलाए गए सबसे बड़े ऑपरेशन के बाद अब PFI पर 5 साल का बैन लगा दिया गया है इसके अलावा इससे जुड़े कई संगठनों पर गृह मंत्रालय ने सख्ती दिखाते हुए उनपर भी बैन लगा दिया है.
Ban on PFI: पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI एक बार फिर से चर्चा में है.पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर बड़ी कार्रवाई की गई. ताबड़तोड़ छापेमारी और एजेंसियों के इनपुट के बाद गृह मंत्रालय की ओर से कड़ी कार्रवाई करते हुए पीएफआई पर पांच साल का बैन लगा दिया गया है. इतना ही नहीं बल्कि इससे जुड़े कई और संगठनों पर भी बैन लगाया है. गृह मंत्रालय की ओर से एक लेटर जारी किया गया जिसपर साफ लफ्ज़ों में लिखा था कि, ये संगठन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर पीएफआई की मदद करते थे.
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NIA का अबतक का सबसे बड़ा ऑपरेशन
बता दें कि PFI को लेकर कई दिनों से छापेमारी चल रही थी. नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी ने दिल्ली समेत 11 राज्यों में PFI के ठिकानों पर छापेमारी की थी. ग़ौरतलब है कि NIA द्वारा किया गया ये ऑपरेशन अब तक सबसे बड़ा ऑपरेशन बताया जा रहा है. ये छापेमारी टेरर फंडिंग, ट्रेनिंग कैंप्स का आयोजन और लोगों को चरमपंथी बनाने में पीएफआई का हाथ होने के चलते की गई है.
इन संगठनों पर भी लगा बैन
पीएफआई के सहयोगी संगठन जैसे रिहैब इंडिया फाउंडेशन (RIF), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (AIIC), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (NCHRO), नेशनल विमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट (NWF) को भी बैन करने का बड़ा फैसला लिया गया है.
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PFI का काम क्या है?
PFI के गठन की घोषणा 16 फरवरी, 2007 को ‘एम्पॉवर इंडिया कॉन्फ्रेंस’ के दौरान बेंगलुरू में एक रैली में की गई थी. PFI दावा करता है कि वह अल्पसंख्यकों, दलितों और हाशिए पर पड़े समुदायों के हक़ के लिए लड़ता है. PFI ने कर्नाटक में कांग्रेस, भाजपा और जेडीएस की कथित जनविरोधी नीतियों को लेकर इन पार्टियों को निशाना बनाया. हालांकि इसने खुद कभी चुनाव नहीं लड़ा है. PFI का दावा है कि वह मुसलमानों के बीच धार्मिक और सामाजिक कार्यों को करता रहा है. हालांकि इस पर गैर कानूनी काम करने के कई आरोप लगते रहे हैं. जिनमे युवाओं को भड़काना और टेरर फंडिंग के भी आरोप हैं.
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