Poetry on Rain: तू वो बादल जो कभी टूट के बरसा ही नहीं, बारिश पर चुनिंदा शेर
Poetry on Rain: बारिश में शायरी सुनने और पढ़ने का अपना मजा होता है. सावन का मौसम आते ही रिमझिम बारिश होने लगी है. ऐसे में हम आपके लिए बारिश पर लिखे हुए कुछ चुनिंदा शेर लेकर आए हैं.
Poetry on Rain: सावन का महीना चल रहा है. ऐसे में मौसम सुहाना हो रहा है. इस मौसम में खूब बारिश होती है. बारिश में कई भीगने का मन भी होता है. जब तेज बारिश होती है जब घर में बैठ कर चाय और पकौड़े खाने का अपना ही मजा होता है. इसके साथ ही कुछ अच्छा पढ़ने का मन होता है. बारिश को मौजूं बनाते हुए कई शायरों ने इस पर अपनी कलम चलाई है. पेश हैं बारिश पर कुछ चुनिंदा शेर.
मैं कि काग़ज़ की एक कश्ती हूँ
पहली बारिश ही आख़िरी है मुझे
-तहज़ीब हाफ़ी
---
याद आई वो पहली बारिश
जब तुझे एक नज़र देखा था
-नासिर काज़मी
---
बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है
-निदा फ़ाज़ली
---
तमाम रात नहाया था शहर बारिश में
वो रंग उतर ही गए जो उतरने वाले थे
-जमाल एहसानी
---
बरस रही थी बारिश बाहर
और वो भीग रहा था मुझ में
-नज़ीर क़ैसर
---
यह भी पढ़ें: Neeraj Chopra: नीरज चोपड़ा ने जीता सिलवर मेडल, फेंका 88.13 मीटर थ्रो
धूप ने गुज़ारिश की
एक बूँद बारिश की
-मोहम्मद अल्वी
---
शायद कोई ख्वाहिश रोती रहती है,
मेरे अन्दर बारिश होती रहती है
-अहमद फ़राज़
---
भीगी मिट्टी की महक प्यास बढ़ा देती है
दर्द बरसात की बूँदों में बसा करता है
-मरग़ूब अली
---
उस ने बारिश में भी खिड़की खोल के देखा नहीं
भीगने वालों को कल क्या-क्या परेशानी हुई
-जमाल एहसानी
---
टूट पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देख कर
वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए
-सज्जाद बाक़र रिज़वी
---
मैं वो सहरा जिसे पानी की हवस ले डूबी
तू वो बादल जो कभी टूट के बरसा ही नहीं
-सुल्तान अख़्तर
---
दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था
-क़तील शिफ़ाई
---
इसी तरह खबरें पढ़ने के लिए Zeesalaam.in पर जाएं.