Poetry on Sleep: नींद इंसानी जिंदगी का अहम पहलू है. नींद का ताल्लुक सेहत से भी है. इंसान नींद भर सोने के बाद अच्छा महसूस करता है. किसी की जिंदगी में जब सुकून होता है तो अच्छी नींद आती है. अगर किसी को किसी से इश्का हो जाए तो भी नींद नहीं आती. कई शायरों नींद नहीं आने की शिकायत की है और उसे अपनी शायरी का मौजूं बनाया है. पेश हैं नींद पर बेहतरीन शेर. पढ़ें


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आई होगी किसी को हिज्र में मौत 
मुझ को तो नींद भी नहीं आती 
-अकबर इलाहाबादी
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सुकून दे न सकीं राहतें ज़माने की 
जो नींद आई तिरे ग़म की छाँव में आई 
-पयाम फ़तेहपुरी
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बिन तुम्हारे कभी नहीं आई 
क्या मिरी नींद भी तुम्हारी है 
-जौन एलिया
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आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा 
आज फिर याद कोई चोट पुरानी आई 
-इक़बाल अशहर
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इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई 
हम न सोए रात थक कर सो गई 
-राही मासूम रज़ा
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हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगे 
अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ 
-क़तील शिफ़ाई
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मुद्दत से ख़्वाब में भी नहीं नींद का ख़याल 
हैरत में हूँ ये किस का मुझे इंतिज़ार है 
-शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
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ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे 
नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो 
-राहत इंदौरी
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उठो ये मंज़र-ए-शब-ताब देखने के लिए 
कि नींद शर्त नहीं ख़्वाब देखने के लिए 
-इरफ़ान सिद्दीक़ी
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वस्ल हो या फ़िराक़ हो 'अकबर' 
जागना रात भर मुसीबत है 
-अकबर इलाहाबादी
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नींद तो दर्द के बिस्तर पे भी आ सकती है 
उन की आग़ोश में सर हो ये ज़रूरी तो नहीं 
-ख़ामोश ग़ाज़ीपुरी
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नींद को लोग मौत कहते हैं 
ख़्वाब का नाम ज़िंदगी भी है 
-अहसन यूसुफ़ ज़ई
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कैसा जादू है समझ आता नहीं 
नींद मेरी ख़्वाब सारे आप के 
-इब्न-ए-मुफ़्ती
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तारों का गो शुमार में आना मुहाल है 
लेकिन किसी को नींद न आए तो क्या करे 
-अफ़सर मेरठी
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