Poetry on Night: किसी ने ठीक ही कहा है कि रात जब कटती नहीं तो काटने लगती है. उर्दू के कई मशहूर शायरों ने रात को अपनी शायरी का मौजूं बनाया है और इस पर अपनी कलम चलाई है. पेश हैं रात पर कुछ चुनिंदा शेर.
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Poetry on Night: रात को कुदरत ने आराम करने के लिए बनाया है. जब इंसान दिनभर काम करके थक कर घर आता है तो वह रात को आराम से सोता है. जिंदगी में अगर सब कुछ ठीक चल रहा है तो रात और रात की नींद बहुत राहत देती है. लेकिन अगर जिंदगी में कुछ दिक्कतें होती हैं तो रात अच्छी नहीं लगती. रात को जब नींद नहीं आती रात लंबी लगने लगती है. कुछ शायरों ने रात पर बेहतरीन शेर लिखे हैं. पढ़ें.
हर तरफ़ थी ख़ामोशी और ऐसी ख़ामोशी
रात अपने साए से हम भी डर के रोए थे
-भारत भूषण पन्त
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रात आ कर गुज़र भी जाती है
इक हमारी सहर नहीं होती
-इब्न-ए-इंशा
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इक उम्र कट गई है तिरे इंतिज़ार में
ऐसे भी हैं कि कट न सकी जिन से एक रात
-फ़िराक़ गोरखपुरी
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रात को रात कह दिया मैं ने
सुनते ही बौखला गई दुनिया
-हफ़ीज़ मेरठी
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ऐ रात मुझे माँ की तरह गोद में ले ले
दिन भर की मशक़्क़त से बदन टूट रहा है
-तनवीर सिप्रा
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बहुत दिनों में मोहब्बत को ये हुआ मा'लूम
जो तेरे हिज्र में गुज़री वो रात रात हुई
-फ़िराक़ गोरखपुरी
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हर एक रात को महताब देखने के लिए
मैं जागता हूँ तिरा ख़्वाब देखने के लिए
-अज़हर इनायती
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ये सर्द रात ये आवारगी ये नींद का बोझ
हम अपने शहर में होते तो घर गए होते
-उम्मीद फ़ाज़ली
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इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई
हम न सोए रात थक कर सो गई
-राही मासूम रज़ा
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कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई
आओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई
-निदा फ़ाज़ली
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इक रात वो गया था जहाँ बात रोक के
अब तक रुका हुआ हूँ वहीं रात रोक के
-फ़रहत एहसास
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रात तो वक़्त की पाबंद है ढल जाएगी
देखना ये है चराग़ों का सफ़र कितना है
-वसीम बरेलवी
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