Poetry on Wish: हर किसी की कुछ न कुछ न ख़्वाहिश होती हैं. ख़्वाहिश किसी को पाने की, ख़्वाहिश किसी के साथ रहने की. ख़्वाहिशें जो कभी पूरी हो जाती हैं तो सुकून मिलता है और अगर न पूरी हों तो बहुत दर्द देती हैं. ख़्वाहिश को मौजूं बना कर कई शायरों ने अपनी कलम चलाई है. आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ख़्वाहिश शब्द पर चुनिंदा शेर. पढ़ें...


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तुझ को छूने की भी नहीं ख़्वाहिश
तुझ को आँखों से चूमना है मुझे
-कँवल मलिक
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रोते-रोते हँसी मेरी ख़्वाहिश
मिल गई इक नई ख़बर शायद
-जाफ़र साहनी
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छोटी छोटी सी ख़्वाहिशों के लिए
कोई ज़िंदा रहा हमेशा से
- ताजदार आदिल
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हसरत है, तुझे सामने बैठे, कभी देखूँ
मैं तुझ से मुख़ातिब हूँ, तेरा हाल भी पूछूँ
-किश्वर नाहिद
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मेरी ख़्वाहिश के मुताबिक तिरी दुनिया कम है
और कुछ यूँ है ख़ुदा हद से ज़ियादा कम है
-शहबाज़ 'नदीम' ज़ियाई
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मेरी ख़्वाहिश है कि फिर से मैं फ़रिश्ता हो जाऊँ
माँ से इस तरह लिपट जाऊं कि बच्चा हो जाऊँ
-मुनव्वर राना
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हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि, हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान, लेकिन फिर भी कम निकले
-ग़ालिब
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होश में नहीं हूँ मैं सुब्ह-ओ-शाम ख़्वाहिशें 
काटती हैं रूह को बे-नियाम ख़्वाहिशें 
-इमरान शनावर
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हज़ारों ख़्वाहिशें रखने की मजबूरी नहीं होती 
हवस इंसान की लेकिन कभी पूरी नहीं होती 
-फ़रियाद आज़र
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ख़्वाहिशें अपनी सराबों में न रक्खे कोई 
इन हवाओं को हबाबों में न रक्खे कोई 
-ग़नी एजाज़
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ख़्वाहिशें इतनी बढ़ीं इंसान आधा रह गया 
ख़्वाब जो देखा नहीं वो भी अधूरा रह गया 
-अख़्तर होशियारपुरी
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मैं अपने दिल में नई ख़्वाहिशें सजाए हुए 
खड़ा हुआ हूँ हवा में क़दम जमाए हुए 
नए जहाँ की तमन्ना में घर से निकला हूँ 
हथेलियों पे नई मिशअलें जलाए हुए
-अफ़ज़ल मिनहास
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