Pryagraj: किसी ने सही कहा है कि लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती. ये मिसाल प्रयागराज के अहद अहमद पर एकदम फिट बैठती है. अहद अपने पिता के साथ पंक्चर बनाते थे और मां के साथ सिलाई करते थे. उन्होंने मां-बाप के काम में हाथ बटाने का साथ-साथ पढ़ाई पर भी ध्यान दिया और वह आज जज बन गए हैं. 30 अगस्त को जब पीसीएस-जे के जब नतीजे सामने आए तो अहद के घर में खुशी की लहर दौड गई. अहद ने पहली ही कोशिश में जज का एग्जाम क्लियर कर लिया.


मां ने ली फिल्म से इंस्पिरेशन


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बच्चे को पढ़ाने की इंस्पिरेशन मां अफसाना को फिल्म 'घर द्वार' देख कर मिली. इस फिल्म को देखने के बाद उन्होंने फैसला किया कि अब वह सिलाई करेंगी और उससे कमाया पैसा बच्चों की पढ़ाई पर खर्च करेंगी और पिता शहजाद पंक्चर की दुकान से घर का खर्चा चलाएंगे. अहद प्रयागराज शहर से कुछ दूर नवाबगंज गाव में रहते हैं. गांव में  उनका एक टूटा-फूटा मकान है और घर के एकदम बराबर में उनके पिता की दुकान है.


पिता का हाथ बटाते हैं अहद


खास बात यह है कि अहद ने इतनी मुफलिसी में यह उपलब्धी हासिल की है. शहजाद पंक्चर लगाने के साथ-साथ टॉफी, चिप्स और चॉकलेट आदि भी रखते हैं. अहद उनका कभी-कभी हाथ बटाते हैं. अहद के तीन भाई-बहन हैं और वह लोग भी अच्छे मकाम पर पहुंच चुके हैं. अहद का बड़ा भाई सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, वहीं छोटा भाई एक प्राइवेट बैंक की ब्रांच में मैनेजर है.


अहद कहते हैं कि उनके माता-पिता ने मेहनत करके उन्हें इस मकाम पर पहुंचाया है. उन्होंने अच्छी पढ़ाई करवाने के साथ उन्हें अच्छे आचरण भी सिखाए हैं. अहद कहते हैं कि मुझे यह बताने में बिलकुल भी झिझक नहीं है कि मैं एक पंक्चर वाले का बेटा हूं और अब मैं अपने पिता को आराम देना चाहता हूं.