नई दिल्लीः तिहाड़ जेल प्रशासन ने सोमवार को दिल्ली की एक अदालत में बताया कि जेएनयू के शोधार्थी और दिल्ली साम्प्रदायिक दंगों के मुल्जिम शरजील इमाम के सेल की तलाशी के दौरान 30 जून को एक कलाई घड़ी मिली है, जो कि प्रतिबंधित सामान है. इमाम पर नागरिकता (संशोधन) कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजी के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का इल्जाम है. 
सरकार मानती है कि शरजील के भाषण की वजह से दिसंबर 2019 में कथित तौर पर जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय के बाहर हिंसा हुई थी. इमाम कथित भड़काऊ भाषणों के लिए राजद्रोह के इल्जामों का भी सामना कर रहा है, और वह जनवरी 2020 से न्यायिक हिरासत में है. 

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इमाम ने जेल के ‘सेवादारों’ पर लगाया था मारपीट का आरोप 
गौरतलब है कि पिछले महीने हुई तलाशी के बाद इमाम ने एक याचिका दायर करते हुए तलाशी लेने वाले ‘सेवादारों’ पर उनसे मारपीट करने का इल्जाम लगाया था. उल्लेखनीय हे कि सेवादार कैदी होते हैं, जिन्हें अच्छे आचरण के बाद जेल प्रशासन की मदद करने की इजाजत दी जाती है. अदालत ने 23 जुलाई को सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद तिहाड़ जेल के अफसरों से उसके समक्ष पेश होने का आदेश दिया था. कोर्ट में तिहाड़ जेल के अफसरों ने इस इल्जाम से इनकार कर दिया कि इमाम से मारपीट की गई थी. उल्टा जेल प्रशासन ने सेवादारों से गाली-गलौज करने और तलाशी का विरोध करने का इल्जाम लगाया है.

वकील ने जेल प्रशासन की दलीलों को किया खारिज 
हालांकि, इमाम की तरफ से पेश वकील अहमद इब्राहिम ने इन दलीलों का विरोध किया और कहा कि कलाई पर बांधे जाने वाली घड़ी जेल कें अंदर प्रतिबंधित नहीं, बल्कि निषिद्ध सामान है, जिसके लिए उसने 2020 में तत्कालीन जेल अधीक्षक से इजाजत ली थी. वकील ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज से साफ है कि एक भी ऐसी घटना नहीं हुई, जब उसके क्लाइंट ने तलाशी का विरोध किया हो. इसके बजाय वह बाहर आया और इस पर ऐतराज जहताया कि उसकी किताबों को जमीन पर फेंका जा रहा है. इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 16 अगस्त तय की गई है.
 


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