नई दिल्ली: ओलंपिक चैंपियन बनाने की उम्मीद में बालूसेरी (केरल) के उषा स्कूल ऑफ एथलेटिक्स में प्रतिभाओं की देखरेख करने वाली भारत की सबसे मशहूर स्प्रिंटर्स में से एक पीटी उषा ने नीरज चोपड़ा को भारत के लिए ट्रैक और फील्ड में पहला गोल्ड जीतने के बाद बधाई दी.


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उषा, जिसे प्यार से 'पायोली एक्सप्रेस' कहा जाता है, ने उस समय दुनिया को एथलेटिक्स में भारत की ताकत का एहसास कराया था, जब वह 1984 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक में 400 मीटर बाधा दौड़ में एक सेकंड के 1/100वें हिस्से से ब्रॉन्ज मेडल से चूक गई थीं.


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लेकिन अब 57 वर्षीय धावक जिन्होंने 1986 के सियोल एशियाई खेलों में चार एशियाई मुकाबले के गोल्ड मेडल - 200 मीटर, 400 मीटर, 400 मीटर बाधा दौड़ और 4गुणा400 मीटर रिले - जीते. इसके अलावा 1982 के एशियाई खेलों में नई दिल्ली में 100 मीटर और 200 मीटर में सिल्वर मेडल जीता. जब उन्होंने चोपड़ा के 87.58 मीटर के जबरदस्त थ्रो को देखा तो वह खुद को रोक नहीं सकीं.


उषा ने चोपड़ा के साथ अपनी एक तस्वीर पोस्ट की और ट्वीट किया, 37 साल बाद आज मेरे अधूरे सपने को साकार किया. शुक्रिया मेरे बेटे- नीरज.



इस तस्वीर को कुछ ही वक्त में 40,000 से ज्यादा लाइक्स और 8,000 से ज्यादा री-ट्वीट किए गए.  उषा को भारतीय एथलेटिक्स की गोल्डन गर्ल कहा जाता है. ओलंपिक पदक उनका सिर्फ एक सपना रह गया. 1984 के ओलंपिक में 400 मीटर बाधा दौड़ में पोडियम फिनिश के लिए पसंदीदा होने के बावजूद, 55.42 सेकंड का उनका प्रयास उसे ब्रॉन्ज दिलाने के लिए पर्याप्त नहीं था, क्योंकि वह चौथे मकाम पर रही थी.
(इनपुट- आईएएनएस)


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