Qateel Shifai Poetry: `यूँ बरसती हैं तसव्वुर में पुरानी यादें`, पढ़ें क़तील शिफ़ाई के चुनिंदा शेर
Qateel Shifai Poetry: क़तील शिफ़ाई (Qateel Shifai) की पैदाईश 24 दिसंबर 1919 को हजारा ख़ैबर पख़्तूनख्वा (अब पाकिस्तान में) में हुई थी. वह पैदा तो हजारा में हुए लेकिन पूरी ज़िंदगी लाहौर (पाकिस्तान) में गुजारी. 11 जुलाई 2001 को पाकिस्तान के लाहौर में उनका इंतेकाल हुआ.
Qateel Shifai Poetry: क़तील शिफ़ाई (Qateel Shifai) उर्दू के मशहूर शायर थे. उनका असल नाम औरंगजेब था. वह रूमानी अंदाज के मशहूर पाकिस्तानी शायर थे. क़तील शिफ़ाई को उनकी ग़ज़ल और नज़्म के लिए याद किया जाता है. क़तील शिफ़ाई (Qateel Shifai) ने पाकिस्तानी और भारत की फ़िल्म इंडस्ट्री के लिए गई नग़्मे भी लिखे हैं. क़तील शिफ़ाई की उर्दू अदब की ख़िदमात के लिए पाकिस्तान में कई अवार्ड से नवाजा गया.
तुम पूछो और मैं न बताऊँ ऐसे तो हालात नहीं
एक ज़रा सा दिल टूटा है और तो कोई बात नहीं
---
गिरते हैं समुंदर में बड़े शौक़ से दरिया
लेकिन किसी दरिया में समुंदर नहीं गिरता
---
जब भी आता है मिरा नाम तिरे नाम के साथ
जाने क्यूँ लोग मिरे नाम से जल जाते हैं
---
यूँ बरसती हैं तसव्वुर में पुरानी यादें
जैसे बरसात की रिम-झिम में समाँ होता है
---
वो मेरा दोस्त है सारे जहाँ को है मालूम
दग़ा करे वो किसी से तो शर्म आए मुझे
अच्छा यक़ीं नहीं है तो कश्ती डुबा के देख
इक तू ही नाख़ुदा नहीं ज़ालिम ख़ुदा भी है
----
जीत ले जाए कोई मुझ को नसीबों वाला
ज़िंदगी ने मुझे दाँव पे लगा रक्खा है
---
कुछ कह रही हैं आप के सीने की धड़कनें
मेरा नहीं तो दिल का कहा मान जाइए
---
ले मेरे तजरबों से सबक़ ऐ मिरे रक़ीब
दो-चार साल उम्र में तुझ से बड़ा हूँ मैं
---
थक गया मैं करते करते याद तुझ को
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ
---
हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगे
अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ
---
आख़री हिचकी तिरे ज़ानूँ पे आए
मौत भी मैं शाइराना चाहता हूँ
---
इसी तरह के शेर पढ़ने के लिए zeesalaam.in पर विजिट करें.