Rahat Indori Poetry: राहत इंदौरी (Rahat Indori) साहब उर्दू के मशहूर शायर थे. राहत इंदौरी अपने बेबाक अदांज़ और बेहतरीन शायरी के लिए पूरी दुनिया जाने जाते रहे हैं. वो हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि पूरी अदबी दुनिया के लिए एक मिसाल रहे हैं. राहत इंदौरी कोशिश किया करते कि उनकी शायरी को हर कोई समझ सके, इसके लिए वो बेहद आसान लफ्ज़ों का इस्तेमाल करते थे. यही वजह है कि उनकी गज़लें नौजवानों ही नहीं बूढ़े, बच्चों की ज़बानों पर भी रवां रहती हैं. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दो गज़ सही मगर यह मेरी मिल्कियत तो है
ऐ मौत तूने मुझे जमींदार कर दिया
---
हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे 
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते 
---
मुझे वो छोड़ गया ये कमाल है उस का 
इरादा मैं ने किया था कि छोड़ दूँगा उसे
---
शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम 
आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे 
---
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो 
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो 
---
बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर 
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ 


यह भी पढ़ें: Jan Nisar Akhtar Poetry: 'सौ चाँद भी चमकेंगे तो क्या बात बनेगी', पढ़ें जां निसार अख्तर के शेर


रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है 
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है 
---
वो चाहता था कि कासा ख़रीद ले मेरा 
मैं उस के ताज की क़ीमत लगा के लौट आया 
---
मैं ने अपनी ख़ुश्क आँखों से लहू छलका दिया 
इक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए 
---
लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द में
यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है
---
हमारे मुंह से जो निकले वही सदाक़त है
हमारे मुंह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है
---
सभी का खून है शामिल यहाँ की मिट्टी में
किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है.
---


इसी तरह की और खबरों को पढ़ने के लिए zeesalaam.in पर विजिट करें.